लेह की जख्मों पर फ्रांसीसी मरहम
नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)। लेह में बादल फटने के कारण हुई भारी तबाही के बाद वहां मौजूद फ्रांसीसी पर्यटकों के एक समूह ने प्रभावितों और शोक संतप्त परिवारों को अपनी दवाएं दीं, राहत कार्य में मदद पहुंचाई और उनकी सांत्वना के लिए बौद्ध प्रार्थनाएं भी गुनगुनाईं। फ्रांसीसी पर्यटक अब अपने देश लौट रहे हैं लेकिन भारत लौटने और लेहवासियों को इससे भी अधिक मदद देने का वादा है।
फ्रांस के 20 पर्यटकों के समूह में शामिल 50 वर्षीय क्रिस्टीन बेडोन कहती हैं, "हम प्रभावितों के साथ बैठे और उन्हें दिलासा दिया। हमने उनके साथ बौद्ध मंत्र भी गुनगुनाए ताकि वे उस दर्दनाक हादसे को भूल सकें।"
बेडोन और उनके पति अन्य फ्रांसीसी पर्यटकों के साथ गुरुवार सुबह जम्मू एवं कश्मीर के लेह शहर पहुंचे थे। उनके पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने वहां प्राकृतिक आपदा से हुई भारी तबाही का मंजर देखा। शुक्रवार को बादल फटने के बाद पूरा शहर ही बाढ़ की चपेट में आ गया। इसमें 165 लोग मारे गए।
बेडोन और उनका समूह भाग्यशाली रहे, वे इस आपदा में सुरक्षित बच गए। यह दल बुधवार की सुबह दिल्ली लौट आया। इसके शनिवार को अपने देश लौट जाने की योजना है लेकिन इस दल में शामिल लोगों की भावनाएं अब भी लेह के लोगों से जुड़ी हुई हैं। बेडोन का कामना है कि वह और मदद करने के लिए वापस आएंगी।
बेडोन ने आईएएनएस से कहा, "हालात सामान्य होने के बाद ही हमने बुधवार सुबह दिल्ली लौटने का निर्णय लिया। मेरी अब भी वहां लंबे समय तक रुकने की इच्छा है।"
आपदा की भयानक रात की याद करते हुए बेडोन के पति जीन क्लॉडे मैथ्यू कहते हैं कि उन्होंने आधी रात को बिजली चमकने और भारी बारिश के बाद बहुत शोर सुना।
57 वर्षीय मैथ्यू कहते हैं, "मैंने अपने जीवन में अब से पहले ऐसा कुछ नहीं देखा था। पंखे और खिड़कियां बहुत तेजी से हिल रहे थे। वह एक डरावनी रात थी।"
समूह की एक और सदस्य मैरी पॉल डीलेरी ने बताया, "हमारे होटल के नजदीक एक नदी थी लेकिन बादल फटने के कुछ समय बाद ही उसमें बाढ़ आ गई।" उन्होंने बताया कि वह होटल के ढहने के डर से अपने सामान सहित उसकी सबसे ऊपर की मंजिल पर चली गई थीं।
बाढ़ में 23 विदेशियों के अपनी जान गंवा देने और ज्यादातर पर्यटकों के वापस लौट जाने के बावजूद ये मुठ्ठीभर फ्रांसीसी पर्यटक चार दिन तक वहां टिके रहे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।