रुचिका प्रकरण : राठौड़ को फिलहाल राहत नहीं (लीड-1)
न्यायमूर्ति गुरदेव सिंह ने राठौड़ के वकील से कहा कि याचिका पर सुनवाई करना कोई अति आवश्यक नहीं है और इसके साथ ही उन्होंने मामले की सुनवाई 28 मई के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने राठौड़ की जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया।
दूसरी ओर आभा राठौड़ ने अपने पति के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए न्यायाधीश से याचिका पर सुनवाई करने का आग्रह किया। लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि इसके लिए उन्हें अदालत में एक अलग से आवेदन करना चाहिए।
ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय में 29 मई से एक महीने के लिए गृष्मकालीन अवकाश होने वाला है, ऐसे में राठौड़ को जल्द राहत मिल पाना काफी कठिन है।
राठौड़ की पत्नी ने मंगलवार के फैसले के खिलाफ बुधवार को एक संशोधित याचिका दायर करने की भी प्रक्रिया शुरू की।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरबीर सिंह ने मंगलवार को राठौड़ की सजा छह महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दी थी। इस फैसले के बाद राठौड़ को हिरासत में ले लिया गया था।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा के पंचकुला में रहने वाली 15 वर्षीय रुचिका के साथ अगस्त, 1990 में राठौड़ ने छेड़छाड़ की थी। इस घटना के तीन साल बाद रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी। बीते कई वर्षो से रुचिका के परिजन न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं।
सीबीआई की एक विशेष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में राठौड़ को रुचिका के साथ छेड़छाड़ के मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने दिसंबर, 2009 में राठौड़ को छह महीने के कारावास की सजा सुनाई थी और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। सजा सुनाए जाने के बाद हालांकि उसे जल्द ही जमानत मिल गई थी।
राठौड़ ने गत जनवरी में खुद को दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ अदालत में चुनौती दी। सीबीआई ने राठौड़ की अपील का विरोध करते हुए उसकी सजा बढ़ाए जाने संबंधी याचिका दायर की। सीबीआई ने उसकी सजा को छह महीने से बढ़ाकर दो वर्ष करने का अनुरोध किया। इसके बाद अदालत का यह फैसला आया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।