राठौड़ : सुबह हंसी, दोपहर बाद जेल
जिस राठौड़ ने सुबह अपने आवास के बाहर इंतजार कर रही मीडिया का मुस्कराते हुए अभिवादन किया था, उसी रठौड़ को सीबीआई, दोपहर बाद जिला अदालत के बाहर खड़ी सफेद रंग की टवेरा वैन में भर कर उठा ले गई। यानी राठौड़ के साथ स्थितियां तेजी से बदल गईं।
इसके पहले अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरबीर सिंह ने रुचिका गिरहोत्रा मामले में राठौड़ की सजा को न केवल बरकरार रखा, बल्कि उसकी सजा को बढ़ा कर 18 महीने कर दिया। साथ ही राठौड़ को हिरासत में लेने का आदेश दिया। राठौड़ और उसकी अधिवक्ता पत्नी लगभग 40 मिनट तक अदालत कक्ष से बाहर नहीं निकले।
राठौड़ की पत्नी और वरिष्ठ अधिवक्ता आभा राठौड़ व बचाव पक्ष के अन्य वकीलों ने अदालत के अंदर राठौड़ को तत्काल घेर लिया, जबकि रुचिका के पिता एस.सी.गिरहोत्रा, मामले में मुख्य याची आनंद एवं मधु प्रकाश और उनके वकील पंकज भारद्वाज, फैसले के बारे में मीडिया को जानकारी देने के लिए अदालत परिसर के बाहर आ गए।
राठौड़ की पत्नी ने न्यायाधीश से अपील की कि राठौड़ की बाईपास सर्जरी हुई है, लिहाजा उसे जमानत दे दी जानी चाहिए। लेकिन न्यायाधीश ने राठौड़ को गिरफ्तार करने तथा उसके स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेजों को जेल अधीक्षक को मुहैया कराने का आदेश दिया।
राठौड़ जब मंगलवार को पंचकुला के सेक्टर छह स्थित अपने आवास से अदालत के लिए रवाना हुए थे तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी और आवास के बाहर इंतजार कर रहे मीडिया कर्मियों की ओर उसने अभिवादन भरा हाथ हिलाया था। सफेद रंग की धारीदार शर्ट, पैंट, टाई और आंखों पर काला चश्मा डाले राठौड़ जब अपनी टाटा इंडिका कार में सवार होकर मीडिया के सामने से गुजरे तो उन्होंने हाथ जोड़ कर मीडिया का अभिवादन किया था।
फैसले के बाद राठौड़ और उसकी पत्नी ने अदालत से फैसले की एक प्रति मांगी, ताकि वे जमानत के लिए पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकें। लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि दोषी ठहराए गए व्यक्ति को फैसले की प्रति तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
ज्ञात हो कि सीबीआई की विशेष अदालत ने उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा के साथ 12 अगस्त, 1990 को छेड़छाड़ करने के आरोप में पिछले वर्ष दिसंबर महीने में राठौड़ को दोषी ठहराया था।
छेड़छाड़ की घटना के तीन साल बाद रुचिका ने पंचकुला कस्बे में आत्महत्या कर लिया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।