महंगाई बढ़ने की एक वजह और भी
तमाम अर्थशास्त्री कमोडिटी बाजार के पक्ष में नहीं रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कमोडिटी बाजार खुद भी एक प्रकार से उस बिचौलिए का काम कर रहा है, जो वस्तु के उत्पादन के समय भंडारण कर लेता है और बाजार में कमी पड़ने पर उसी वस्तु को अच्छे दामों में बेच देता है। प्रत्यक्ष रूप से देखें तो आज भी तमाम बिचौलिए ऐसे हैं, जो यही काम कर रहे हैं।
इस पर हमने लखनऊ के जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के लेक्चरर डा. अमित मिश्रा से बात की। उन्होंने कहा कि सरकार और आम आदमी का ध्यान कमोडिटी बाजार पर ध्यान तभी जाता है, जब आलू, चीनी और चावल जैसी वस्तुओं के दाम बढ़ते हैं। ऐसे में सरकार उन आम आदमी की जरूरत की वस्तुओं की ट्रेडिंग पर रोक भी लगा देती है, लेकिन उस समय भी कमोडिटी बाजारों के सदस्य शांत नहीं बैठते। ऐसे समय में काली मिर्च, इलाइची, तेज पत्ता, जैसी वस्तुओं पर पैसा लगाना शुरू कर देते हैं। कुल मिलाकर कमोडिटी बाजारों का महंगाई पर तुरंत प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन लंबे अंतराल में काफी बड़ा और गंभीर प्रभाव पड़ता है। जो कि इस समय दिखाई दे रहा है। आज प्रत्येक वस्तु के दाम आसमान छू रहे हैं। यह ऐसी स्थिति है जब सरकार भी बेबस है।
पढ़ें- कमोडिटी बाजार बढ़ा रहे महंगाई
अब बात आती है फुटकर बाजार की। बड़ी-बड़ी कंपनियों के फुटकर बाजार में उतरने के बाद मानों इस बाजार में क्रांति आ गई। लेकिन यहां भी आम आदमी और किसान पिसते नजर आए। फुटवीयर सेंटर फॉर रिटेल मैनेजमेंट के इंचार्ज डा. सत्य प्रकाश पांडेय के मुताबिक कमोडिटी बाजार का सीधा प्रभाव रिटेल मार्केट पर पड़ा है। जब रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप जैसे बड़े खिलाड़ी बाजार में उतरे तो उन्होंने सीधे किसानों या उत्पादकों से वस्तुएं खरीदनी शुरू कर दीं। प्रत्यक्ष रूप से देखें तो बड़े खिलाडि़यों का कहना है कि वे बिचौलियों को दिया जाने वाला कमीशन बचा कर बाजार से कम दामों पर वस्तुएं उपभोक्ताओं को मुहैया कराते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। बड़े ग्रुप भारी मात्रा में सामान खरीदने के बाद उस दिन का इंतजार करते हैं जब कमोडिटी बाजार में उसके दाम बढ़ेंगे। क्योंकि वही सही समय होगा उस वस्तु को बेचने का।
डा. पांडेय के मुताबिक यहां पर सबसे बड़ा फैक्टर ग्लैमर है। जी हां बड़े ग्रुप अच्छी पैकेजिंग कर उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में सफल हो जाते हैं। एक साधारण आदमी द्वारा बनाए गए आचार को वो अपना नाम देकर अचार की ब्रांडिंग कर देते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं। बढ़ती महंगाई के पीछे एक तथ्य और है वो है छठा वेतन आयोग। चूंकि सरकार को पता है कि छठा वेतन आयोग आने के बाद केंद्र और कई राज्यों के कर्मचारियों के वेतन में अच्छी खासी वृद्धि हुई है, इसलिए उन्हें इससे खास फर्क नहीं पड़ने वाला। लेकिन अगर फर्क पड़ रहा है तो वो बेरोजगारों, स्वरोजगारों और निजी कंपनियों में काम करने वाले लोगों को। क्योंकि पिछले साल की आर्थिक मंदी से वो अभी तक नहीं उबर पाएं हैं। उनके वेतन में कोई वृद्धि नहीं हुई है।