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कनिष्क विस्फोट: अगले महीने शुरू होगी ताजा सुनवाई

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वर्ष 1985 में अंजाम दिए गए इस विस्फोट के मामले में सिर्फ खालिस्तानी उग्रवादी रैयत को ही सजा हुई थी और उसने 15 साल जेल में गुजारे। इस घटना में विमान में सवार सभी 329 यात्री मारे गए थे।

यह घटना 23 जून, 1985 की है। कनिष्क विमान मांट्रियल से नई दिल्ली के लिए उड़ा था। इसमें सवार ज्यादातर लोग भारतीय मूल के कनाडाई थे। इसी दिन टोक्यो हवाई हड्डे पर एक विस्फोट हुआ जिसमें दो लोग मारे गए। यह बम भी कनाडा से गए एयर इंडिया के विमान में रखा गया था।

यहां की एक सुनवाई अदालत ने कहा कि दोनों बमों को खालिस्तानी उग्रवादियों ने रखा था। रैयत को टोक्यो विस्फोट मामले में 10 साल कैद की सजा हुई थी। कनिष्क विमान विस्फोट मामले में भी उसे पांच साल की सजा और हुई थी।

वह वर्ष 2003 में इस मामले के दो संदिग्धों रिपुदमन सिंह मलिक और अजायब सिंह बागरी की शिनाख्त करने के लिए सहमत हुआ था लेकिन बाद में उसने 27 बार झूठ बोला। इस वजह से मलिक और बागरी रिहा हो गए। अब अगर रैयत दोषी करार दिया जाता है तो उसे 14 साल की सजा हो सकती है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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