'नाथ अदालत' के हुक्म से डरते हैं सपेरे
सदियों से सपेरा समाज में रूढ़िवादी परम्पराएं हावी हैं। खानाबदोस जाति की भांति जीवन बसर करने वाली अनुसूचित जाति की इस कौम की अपने कुछ सामाजिक नियम-कानून व बन्दिशें हैं, जिन्हें दरकिनार कर पाना बस की बात नहीं है। मसलन छोटे से लेकर बड़े अपराध की सुनवाई सिर्फ 'नाथ अदालत' में होगी। अपराध के दर्जे के हिसाब से सजा भी सुनाई जाएगी। शर्त यह है कि पीड़ित और गुनहगार सपेरा समाज के ही हों। इनमें से अगर एक भी दीगर कौम का है तो सरकारी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस अदालत में 'मृत्यु दंड' का प्रावधान नहीं है। हत्या और बलात्कार के अपराध में 'आजीवन कारावास' के तौर पर गुनहगार का हुक्का-पानी (खान-पान) बंद कर दिया जाता है और कम से कम बीस साल तक जुर्मी व्यक्ति समाज व अपने घर-परिवार से मुखातिब नहीं हो सकता। साथ ही अर्थदंड में अधिकतम बीस हजार रुपये जुर्माना पीड़ित पक्ष को देय होगा। यदि सजा का उल्लंघन हुआ तो यही हश्र उसके पूरे कुनबे को भोगना पड़ सकता है।
सपेरा समाज में जन्मे सामाजिक कार्यकर्ता बाला जी का कहना है कि 'नाथ अदालत सपेरा समाज की पीढ़ियों पुरानी अदालत है, तमाम प्रयासों के बाद भी समाज इससे उबर नहीं पाया है। हालांकि इस अदालत के डर से सामाजिक भाईचारा कायम है। बहुत कम अपराध होते हैं।
इलाहाबाद जनपद के सीमावर्ती इलाका शंकरगढ़ व बरगढ़ क्षेत्र के कपारी, लोहगरा, कंचनपुर, भैरवघाट व तालापार गांव में करीब पांच हजार सपेरा परिवार आबाद हैं। जो सिर्फ जहरीले सांप-बिच्छू पाल व नचा कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं। सरकारी प्रतिबंध से अब और संकट आ गया है। सरकारी योजनाओं से अपरचित ये परिवार बदनसीबी की जिंदगी गुजार रहे हैं।
70 वर्षीय स्वरूपनाथ का कहना है कि 'उनके पूर्वज भी नाथ अदालत के भरोसे थे, इतनी उमर में कोर्ट-कचेहरी का मुंह नहीं देखा। कई मामलों में वह खुद फैसला दे चुके हैं। सरकारी अदालत में घूस की बदौलत मुजरिम छूट जाता है। नाथ अदालत में जिरह-बहस सुनने के बाद 'पंचपरमेश्वर' ईमानदारी से फैसला करते हैं।' 60 वर्षीय अक्कलनाथ ने बताया कि कुछ मामले पंच-पंचायत से निपटाते हैं, सिर्फ बड़े मामलों में ही अदालत बैठती है।
इलाके के पुलिस क्षेत्राधिकारी जनार्दन त्रिपाठी का कहना है कि 'सपेरा समाज में कुछ पुरानी परम्पराएं हैं, तमाम मामले मिल-बैठ कर हल कर लेते हैं। पुलिस भी नाहक हस्तक्षेप नहीं करती। थानाध्यक्ष शंकरगढ़ दीप कुमार सोनी का कहना है कि फिलहाल सपेरा समाज में सं™ोय अपराध की वारदातें नहीं हुईं, छिटपुट घटनाएं थाने नहीं आईं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।