सांसद निधि को सर्वोच्च न्यायालय ने वैध ठहराया (लीड-1)
पांच न्यायाधीशों प्रधान न्यायाधीश के. जी बालाकृष्णन, न्यायाधीश आर. वी. रविंद्रन, न्यायाधीश डी. के. जैन, न्यायाधीश पी. सथशिवम और न्यायाधीश जे. एम. पांचाल की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा, "सांसद निधि वैध है। केवल इस कोष के दुरुपयोग का आरोप सांसद निधि को समाप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।"
बहरहाल न्यायालय ने कहा कि योजना के कार्य संचालन में सुधार किया जा सकता है।
न्यायाधीश सथशिवम द्वारा लिखे गए फैसले में इस आरोप को खारिज कर दिया गया कि इस योजना से वर्तमान सांसद को अपने विरोधियों के खिलाफ फायदा होता है। उन्होंने कहा कि योजना से वर्तमान सांसद को कोई अतिरिक्त लाभ हासिल नहीं होता।
योजना के तहत निर्वाचित सांसद अपने राज्य के एक या अधिक जिलों में विकास कार्यो की सिफारिश कर सकते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य देश के किसी भी जिले में विकास कार्य की सिफारिश कर सकते हैं।
तय दिशानिर्देश के अनुसार योजना के तहत केंद्र सरकार जिला प्रशासन को कोष उपलब्ध कराती है।
वर्ष 1993-94 में जब योजना शुरू हुई तो सांसदों को हर वर्ष 500,000 रुपये विकास कार्यो के लिए आवंटित किए गए। वर्ष 1994-95 में इसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपये और वर्ष 1998-99 में बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।