बच्चों को झगड़ालू बनने से रोक सकते हैं अभिभावक
टोरंटो, 3 मई (आईएएनएस)। माता-पिता चाहें तो अपने बच्चों के साथ बातचीत कर उन्हें झगड़ालू बनने से रोक सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है।
अध्ययनकर्ता रश्मी शेटगिरी कहती हैं, "अभिभावकों और बच्चों के बीच संचार को बेहतर बनाने व दोनों के बीच मेल-मिलाप को बढ़ाने का बच्चों की बदमाशी पर असरदार प्रभाव हो सकता है।"
'युनीवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडीकल सेंटर' (यूटीएसएमसी) की शेटगिरी और उनके साथियों ने 2007 के बच्चों के स्वास्थ्य के राष्ट्रीय सर्वेक्षण का विश्लेषण किया था।
अध्ययनकर्ताओं ने 10 से 17 वर्ष आयु के बच्चों वाले 45,897 अभिभावकों से पूछा था कि उनके बच्चे दूसरों के प्रति झगड़ालू हैं या नहीं। इसके बाद शोधकर्ताओं ने बच्चों में झगड़े की प्रवृत्ति बढ़ाने व कम करने वाले कारकों की पहचान की।
परिणाम बताते हैं कि झगड़ालू प्रवृत्ति 15 प्रतिशत तक थी। भावनात्मक या व्यवहारगत परेशानियां और मां का मानसिक स्वास्थ्य बच्चों को झगड़ालू बनाने वाले मुख्य कारक हैं।
अफ्रीकी मूल के अमेरिकी बच्चों और लेटिनो बच्चों की अपेक्षा श्वेत बच्चों में झगड़े की प्रवृत्ति ज्यादा होती है।
भावनात्मक, विकासात्मक या व्यवहारगत परेशानियों वाले बच्चों के झगड़ालू होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा जिन बच्चों की माताओं का मानसिक स्वास्थ्य बहुत अच्छा नहीं होता उनके भी झगड़ालू होने की संभावना अधिक होती है।
यूटीएसएमसी की विज्ञप्ति के मुताबिक माता-पिता के बच्चों से बार-बार और छोटी-छोटी बातों पर नाराज होने से बच्चे झगड़ालू हो जाते हैं। जो अभिभावक यह मानते हैं कि उनके बच्चे उन्हें तंग करने के काम करते हैं ऐसे बच्चों के भी झगड़ालू होने की संभावना होती है।
जिन बच्चों के माता-पिता उनसे विचार-विमर्श करते हैं, उनसे और उनके मित्रों से बात करते हैं उनके झगड़ालू होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।