कपाड़िया होंगे नए प्रधान न्यायाधीश (राउंडअप)
राष्ट्रपति ने इसके अलावा तीन उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया है।
न्यायमूर्ति कपाड़िया, प्रधान न्यायाधीश के.जी.बालाकृष्णन का स्थान ग्रहण करेंगे। बालाकृष्णन देश के पहले दलित प्रधान न्यायाधीश हैं।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 की धारा दो में प्रदत्त अधिकार के तहत राष्ट्रपति, न्यायमूर्ति सरोस होमी कपाड़िया को देश का प्रधान न्यायाधीश नियुक्त कर प्रसन्नता का अनुभव कर रही हैं। उनका कार्यकाल 12 मई, 2010 से प्रभावी होगा।"
कपाड़िया का जन्म 29 सितंबर, 1947 को हुआ था। वह 10 सितंबर, 1947 को एक वकील के रूप में पंजीकृत हुए। उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की।
कपाड़िया को आठ अक्टूबर, 1991 में बांबे उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 23 मार्च, 1993 को उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया। उन्होंने विशेष रूप से गठित उस अदालत का नेतृत्व किया, जिसने 1990 के दशक में हुए कुख्यात प्रतिभूति घोटाले से संबंधित अपराधों की सुनवाई की थी।
कपाड़िया को पांच अगस्त, 2003 को उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उन्हें 18 दिसंबर, 2003 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त कर दिया गया।
कपाड़िया अर्थशास्त्र, सार्वजनिक वित्त, सैद्धांतिक भौतिकी और हिंदू व बौद्ध दर्शन में रुचि रखते हैं।
बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और बाद में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति कपाड़िया ने भारतीय रिजर्व बैंक और बैंकिंग नियमन कानून के तहत महत्वपूर्ण वित्तीय मामलों पर फैसले दिए।
सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार वह 29 सितंबर, 2012 को सेवानिवृत्त होंगे।
इसके अलावा झारखण्ड उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश स्यान सुधा मिश्रा सहित तीन न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने शुक्रवार को मिश्रा के अलावा मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हेमंत लक्ष्मण गोखले और बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अनिल रमेश दवे को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया।
विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि तीनों सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश होंगे।
शपथ ग्रहण के बाद मिश्रा ने पत्रकारों से कहा कि वह देश की शीर्ष अदालत में न्यायाधीश बनने के बाद बहुत खुश हैं।
उन्होंने कहा कि वह देश की महिलाओं की प्रतिनिधि हैं। शीर्ष अदालत के कोलेजियम द्वारा उनमें भरोसा जाहिर करने पर मिश्रा ने उनका आभार जताया।
तीसरी महिला न्यायाधीश रूमा पाल के बाद मिश्रा शीर्ष अदालत में पहली महिला न्यायाधीश नियुक्त हुईं हैं। पाल छह जून 2006 को सेवानिवृत्ति हो गई थीं।
उल्लेखनीय है कि फातिमा बीवी 10 अक्टूबर 1989 से 29 अप्रैल 1992 तक सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश के तौर पर कार्यरत थीं।
दो साल बाद सुजाता मनोहर शीर्ष अदालत में आठ नवम्बर 1994 को न्यायाधीश नियुक्त की गईं। वह 27 अगस्त 1999 को सेवानिवृत्त हुई थीं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।