मौद्रिक नीति : महंगाई को देखते हुए प्रमुख दरों में वृद्धि (लीड-1)
आरबीआई ने महंगाई की उच्च दर को देखते हुए व्यवस्था से अतिरिक्त तरलता कम करने के लिए प्रमुख दरों में वृद्धि की घोषणा की है। मार्च 2011 तक मुद्रास्फीति की वार्षिक दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।
बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास की दर आठ फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। इससे पहले बैंक ने इसके 7.2 फीसदी रहने की संभावना जताई थी।
आरबीआई के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने रेपो और रिवर्स रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की है। इसके अलावा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) की दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि कर इसे छह फीसदी कर दिया गया है।
आरबीआई से व्यावसायिक बैंकों द्वारा लिए जाने वाले ऋण पर लगने वाले ब्याज को रेपो दर कहते हैं। रेपो दर मे वृद्धि से व्यावसायिक बैंकों के लिए ऋण महंगे हो जाएंगे। इसे पांच फीसदी से बढ़ाकर 5.25 फीसदी किया गया है।
इसी तरह व्यावसायिक बैंकों से आरबीआई द्वारा लिए गए ऋण पर दिए जाने वाले ब्याज को रिवर्स रेपो दर कहा जाता है। इस दर में वृद्धि से बैंकों के लिए आरबीआई के पास धन जमा करना फायदेमंद होगा और इससे बाजार में तरलता कम होगी। रिवर्स रेपो की नई दर 3.75 फीसदी होगी।
इन नई दरों का खुलासा सुब्बाराव ने व्यावसायिक बैंकों के प्रमुखों के समक्ष किया। नई दरें 24 अप्रैल से प्रभावी होंगी।
प्रमुख दरें इस प्रकार हैं =
बैंक दर : 6 फीसदी
रेपो दर : 5.25 फीसदी
रिवर्स रेपो दर : 3.75 फीसदी
नकद आरक्षित अनुपात : 6 फीसदी
वैधानिक तरलता दर : 25 फीसदी
बैंकिंग उद्योग के जानकारों के मुताबिक नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि से व्यवस्था से 25 हजार करोड़ रुपये की तरलता घटाने में मदद मिलेगी। इस कारण बैंकों के पास ऋण देने के लिए धन की उपलब्धता पर भी असर पड़ेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।