मौद्रिक नीति में दर वृद्धि का संकेत
आरबीआई ने 'व्यापक आर्थिक एवं मौद्रिक घटनाक्रम : 2009-10' नामक एक दस्तावेज में कहा है कि जहां आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति के नीचे आने की उम्मीद है, वहीं विपरीत खतरे भी सामने उपस्थित हो रहे हैं। इन खतरों में जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि शामिल है।
आरबीआई इस दुविधा में फंसा हुआ है कि वह विकास दर की रफ्तार बनाए रखे या मुद्रास्फीति पर लगाम कसे। आरबीआई ने कहा है कि उच्च मुद्रास्फीति से निपटने का यही समय है।
दस्तावेज में कहा गया है, "विकास दर की रफ्तार बनाए रखने के लिए जहां निजी मांगों में मजबूत सुधार की आवश्यकता है, वहीं पहले से सुर्खियों में छाया मुद्रास्फीति यह सुझाव देता है कि मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए नीति संतुलन का वजन दूसरे पलड़े पर स्थानांतरित किया जा सकता है, क्योंकि उच्च मुद्रास्फीति अपने आप में वृद्धि में सुधार को हतोत्साहित करेगा।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।