वैज्ञानिकों ने कहा, क्रायोजेनिक इंजन चालू हुआ था
अपना नाम उजागर करने के अनिच्छुक एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा, "इंजन एक सेकेंड के लिए चालू हुआ और उसके बाद ईंधन की आपूर्ति बाधित हो गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष और हम गुरुवार को ही इसे जान गए थे लेकिन हम इसके बारे में दोबारा निश्चित होना चाहते थे। अब आंकड़ों से इसका प्रमाण मिल गया है। सभी प्रकार से यह एक महान उपलब्धि है।"
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आईएएनएस से कहा कि उनके पास इस बात को साबित करने के लिए रिकार्ड है कि क्रायोजेनिक इंजन चालू हुआ था।
जीएसएलवी-डी3 का प्रक्षेपण गुरुवार को जीसेट-4 उपग्रह के साथ शाम पांच बजे किया गया।
एक उच्च स्तरीय समिति ने विफल रॉकेट मिशन के आंकड़ों की समीक्षा शनिवार को शुरू की।
बैठक इसरो की एक इकाई विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में हो रही है। शनिवार रात को यहां पहुंचे इसरो अध्यक्ष के. राधाकृष्णन चर्चा का नेतृत्व कर रहे हैं।
दो दिवसीय बैठक में विफलता के कारणों की जांच के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया गया, जो मिशन की विफलता के पूरे कारणों की समीक्षा करेगी।
शहर के बाहरी इलाके में स्थित इसरो के इस केंद्र पर ही क्रायोजेनिक इंजन के डिजायन से लेकर असेंबलिंग तक का काम किया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।