मनमोहन ने की परमाणु ऊर्जा केंद्र की स्थापना की घोषणा (राउंडअप)
परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में जुटे दुनिया के 47 देशों के नेताओं से मनमोहन ने कहा, "मुझे इस अवसर पर इस बात की घोषणा कर खुशी का अनुभव हो रहा है कि हमने भारत में एक वैश्विक परमाणु ऊर्जा साझेदारी केंद्र (ग्लोबल सेंटर फॉर न्युक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप) स्थापित करने का निर्णय लिया है।"
इस नए केंद्र में चार स्कूल होंगे, जिनमें आधुनिक परमाणु ऊर्जा प्रणाली अध्ययन, परमाणु सुरक्षा, विकिरण सुरक्षा तथा स्वास्थ्य देखभाल, कृषि व खाद्य के क्षेत्रों में रेडियोआइसोटोप्स व विकिरण प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में अध्ययन और शोध कार्य होंगे।
सिंह ने कहा, "हम इस केंद्र के कार्य को सफल बनाने के लिए इस उपक्रम में आप सभी देशों की, आईएईए की तथा दुनिया की साझेदारी का स्वागत करेंगे।"
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इस घोषणा का स्वागत किया।
ओबामा ने कहा, "भारत द्वारा परमाणु ऊर्जा साझेदारी केंद्र स्थापित किए जाने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। सर्वोत्तम परंपराओं को विकसित करने की दिशा में यह एक और कदम होगा।"
सिंह ने पाकिस्तान के ए.क्यू.खान की गतिविधियों का जिक्र किए बगैर गुप्त प्रसार नेटवर्क के बारे में भी दुनिया को याद दिलाया और परमाणु सामग्रियों की तस्करी से मुकाबला करने के लिए दुनिया से हाथ मिलाने का आह्वान किया।
सिह ने कहा, "गुप्त परमाणु प्रसार तंत्र विकसित हो गए हैं और सभी के लिए असुरक्षा पैदा हो गया है, खासतौर से भारत के लिए।"
सम्मेलन के समापन के दिन अपने संबोधन में सिह ने कहा, "हमें अतीत की गलतियों से हर हाल में सबक लेना चाहिए और इनके दोहराव को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "परमाणु विस्फोटकों या विखंडनशील सामग्रियों तथा तकनीकी जानकारियों के अराजक तत्वों के हाथों में पड़ने का खतरा लगातार हमारी दुनिया को झकझोरता रहेगा।"
सिंह ने कहा, "हम या अन्य देश इस समस्या से जिस तरह के खतरे का सामना कर रहे हैं, भारत उसे लेकर गंभीर रूप से चिंतित है।"
यद्यपि मनमोहन ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन सम्मेलन में जुटे दुनिया के अन्य नेताओं ने भी पाकिस्तान से पैदा होने वाले परमाणु प्रसार के खतरों के बारे में चिंता जाहिर की।
इस अवसर पर मनमोहन ने परमाणु हथियारों की कटौती के लिए अमेरिका-रूस के बीच हुए हाल के समझौते का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की परमाणु शक्तियों से अपने परमाणु शस्त्रागार में भारी कटौती करने के लिए कहा।
मनमोहन कहा, "हम अमेरिका और रूस के बीच अपने परमाणु शस्त्रागार में कटौती के लिए हुए समझौते का स्वागत करते हैं। यह सही दिशा में उठाया गया एक कदम है।"
मनमोहन सिंह ने कहा, "समृद्ध परमाणु शस्त्रागार वाले सभी देशों से मैं आह्वान करता हूं कि वे अपने शस्त्रागार में भारी कटौती के जरिए इस प्रक्रिया को आगे और तेज करें। इससे अर्थपूर्ण नि:शस्त्रीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा।"
ज्ञात हो कि पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने अपने देशों के परमाणु शस्त्रागार में अब तक की सर्वाधिक कटौती करने पर सहमति जताई थी। दोनों नेता अपने परमाणु जखीरे में लगभग 30 प्रतिशत कटौती करने को सहमत हो गए हैं।
सिंह ने वैश्विक, व्यापक और भेदभाव रहित परमाणु नि:शस्त्रीकरण का आह्वान किया।
मनमोहन सिंह ने यहीं पर वैश्विक विकास के लिए परमाणु प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग की वकालत की। सिंह ने 2022 तक भारत की स्थापित परमाणु विद्युत क्षमता को सात गुना से अधिक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना की भी घोषणा की।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "हमारा लक्ष्य अपनी स्थापित क्षमता को वर्ष 2022 तक सात गुना से अधिक 35,000 मेगावाट तक तथा वर्ष 2032 तक 60,000 मेगावाट तक बढ़ाना है।"
मनमोहन सिंह ने उम्मीद जाहिर की कि यह सम्मेलन दुनिया को अपेक्षाकृत सुरक्षित बनाने के लिए ठोस निष्कर्षो की ओर बढ़ेगा।
सिंह ने कहा, "चिकित्सा, कृषि, खाद्य संरक्षण और स्चच्छ जल की उपलब्धता जैसे क्षेत्रों में परमाणु विज्ञान के विकास संबंधी अनुप्रयोग अब सुविकसित हो गए हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।