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परमाणु अप्रसार में भारत-पाक की मदद चाहेगा अमेरिका (लीड-1)

By Staff
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वाशिंगटन, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। अमेरिका का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के कारण परमाणु अप्रसार का संतुलन बिगड़ गया है। इसके साथ ही अमेरिका ने कहा है कि वैश्विक परमाणु हथियारों को सीमित करने के प्रयास में वह इन दोनों देशों की मदद लेना चाहेगा।

इसी कारण परमाणु प्रसार का प्रमुख स्रोत होने के बावजूद पाकिस्तान को परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है और अमेरिका चाहता है कि इस्लामाबाद भी परमाणु अप्रसार व्यवस्था का हिस्सा बने। जबकि उत्तर कोरिया, ईरान और सीरिया को इस सम्मेलन से बाहर रखा गया है।

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका और रूस ने अपने-अपने शस्त्रागारों को सीमित करने के लिए अपने हिस्से की बातचीत जारी रखी है। लेकिन परमाणु हथियार हासिल कर चुके भारत और पाकिस्तान जैसे अन्य देशों ने ऐसी स्थिति कायम कर रखी है कि परमाणु प्रतिरोध का पूरा संतुलन ही बिगड़ गया है।

क्लिंटन ने अगले सप्ताह होने वाले परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के पूर्व मौके पर कहा, "इसी कारण हम दोनों देशों के साथ यह सुनिश्चित कराने की कोशिश में कड़ी मेहनत कर रहे हैं कि उनके परमाणु जखीरे पूरी तरह सुरक्षित हों और वे परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करने की कोशिश में हमारे साथ भागीदार बनें।"

क्लिंटन ने केंतुकी स्थित युनिवर्सिटी ऑफ लुईजविले में परमाणु अप्रसार पर अपने एक व्याख्यान में कहा, "और दोनों देश अगले सप्ताह वाशिंगटन में होंगे।"

दुनिया के 47 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान को आमंत्रित करने पर तर्क देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पी.जे.क्राउली ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, "हम पाकिस्तान को समाधान का एक हिस्सेदार देखना चाहते हैं। पिछले दिनों वह समस्या का हिस्सा था।"

प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान परमाणु प्रसार का स्रोत रहा है और इसके परिणामस्वरूप उसके खिलाफ कई कदम उठाए गए हैं। पाकिस्तान ने भी कुख्यात वैज्ञानिक ए.क्यू.खान द्वारा संचालित तंत्र को समाप्त करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की मदद करने की इच्छा दिखाई है।

ए.क्यू.खान के माध्यम से सर्वाधिक परमाणु प्रसार होने की याद दिलाने पर क्राउली ने कहा, "आप सही हैं, पाकिस्तान पहले चिंता का विषय रहा है और इस मुद्दे पर हमने उसके साथ महत्वपूर्ण चर्चाएं की हैं।"

क्राउली ने कहा कि अमेरिका ने इस बारे में अपने सवाल पाकिस्तान के सामने रखे और उसने अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को सुरक्षित रखने की क्षमता दिखाई है। अमेरिका को उसके द्वारा उठाए गए कदमों पर भरोसा है।

क्राउली ने कहा, "यदि हम परमाणु अप्रसार तंत्र को मजबूत करने जा रहे हैं तो हम चाहते हैं कि पाकिस्तान भी इस प्रक्रिया में हिस्सेदार बने।"

राष्ट्रपति बराक ओबामा परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान विभिन्न देशों से आग्रह करेंगे कि वे परमाणु सामग्री को आतंकवादियों की पहुंच से दूर रखना सुनिश्चित करें।

समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार ओबामा के सलाहकारों का कहना है कि राष्ट्रपति परमाणु सुरक्षा के लिए एक कार्य योजना विकसित करना चाहते हैं। व्हाइट हाउस के परमाणु अप्रसार मामले के वरिष्ठ सलाहकार गैरी सैमोर ने कहा, "परमाणु आतंकवाद बेहद गंभीर खतरा है।"

अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोडेस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित इस बैठक में सभी प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्ष शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा, "परमाणु सुरक्षा पर पहले इस तरह की व्यापक बहस नहीं हुई। ऐसा पहली बार होने जा रहा है।"

उल्लेखनीय है कि परमाणु सुरक्षा शिखर बैठक सोमवार से आरंभ हो रही है। इसमें कुल 47 राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा ले रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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