बिहार में 'दुई पाटन के बीच' फंसी कांग्रेस
नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपना खोया जनाधार वापस पाने की कोशिशों में जुटी कांग्रेस वहां 'दुई पाटन के बीच' फंस गई है। वह तय नहीं कर पा रही है कि उसे कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के फार्मूले पर आगे बढ़ना है या फिर बिहार की 'परम्परागत राजनीति' का पोषक बने रहना है।
राहुल चाहते हैं कि बिहार में कांग्रेस की परम्परागत स्वच्छ छवि बने, जिसमें बिहार अपराधमुक्त हो और वहां की राजनीति अपराधियों से मुक्त हो। लेकिन राहुल की यह सोच दूसरे दलों से हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए बिहार के नेताओं को रास नहीं आ रहा है। इसे लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई है। आलम यह है कि राहुल की पसंद बताए जाने वाले बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा को हटाए जाने की मुहिम अब दिल्ली तक पहुंच गई है। इस मुहिम में कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस के कद्दावर नेता व बिहार के पार्टी प्रभारी जगदीश टाइटलर लगे हुए हैं। कुछ दिनों पहले तक शर्मा और टाइटलर के बीच राजनीतिक सहृदयता थी।
दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की पूर्व सांसद रंजीता रंजन और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद साधु यादव पूर्व लोजपा सांसद पप्पू यादव को आगे कर बिहार कांग्रेस में अपना प्रभुत्व जमाना चाहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि पप्पू यादव कांग्रेस के सदस्य भी नहीं है इसके बावजूद इस धड़े द्वारा उन्हें कांग्रेस के पोस्टरों में राहुल की बराबरी का स्थान दिया जा रहा है। हाल ही में पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लगाए गए पोस्टरों में एक तरफ राहुल तो दूसरी तरफ पप्पू यादव और बीच में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व अन्य नेताओं के फोटो छपे थे। इसे लेकर प्रदेश में अच्छा खासा विवाद भी हुआ था।
प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा इस गुट की गतिविधियों से खफा हैं और उन्होंने इसकी शिकायत आलाकमान से की है वहीं टाइटलर दोनों खेमों में सामंजस्य बिठाकर भावी राजनीति करना चाहते हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "राहुल की लाइन पर ही पार्टी को चलना चाहिए तभी जाकर पार्टी बिहार में अपने खोए जनाधार को वापस पा सकती है। अपराधी छवि के नेताओं से पार्टी को परहेज करना चाहिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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