परमाणु दायित्व विधेयक पर भाजपा ने ठुकराया प्रधानमंत्री का आग्रह (लीड-1)
भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने रविवार को विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को फोन कर परमाणु दायित्व विधेयक का विरोध खत्म करने का आग्रह किया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सुषमा से इस विधेयक पर पार्टी के रुख में तब्दीली लाने का अनुरोध किया था लेकिन सुषमा ने उन्हें साफ-साफ बता दिया कि भाजपा इसके विरोध में है और वह किसी भी सूरत में इसे स्वीकार नहीं करेगी।
सिन्हा ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन ने इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भेंट की थी। इस दौरान उन्हें भी बता दिया गया था कि पार्टी इस विधेयक के विरोध में है।
इससे पहले, विपक्षी दलों के भारी विरोध की आशंका के मद्देनजर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश करने से अपने हाथ पीछे खींच लिए।
सरकार ने सोमवार को लोकसभा की कार्यसूची में 19वें नम्बर पर इस विधेयक को पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया था लेकिन अंतिम समय में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के समक्ष उसने इस विधेयक को पेश न करने की अपनी मंशा जताई।
लोकसभा अध्यक्ष ने सरकार की मंशा से सदन को अवगत कराते हुए कहा कि सरकार का इरादा इस विधेयक को पेश नहीं करने का है। विपक्षी सदस्यों ने इसका विरोध भी किया। नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि सदन सरकार की इच्छा और अनिच्छा से नहीं चलता है बल्कि नियमों से चलता है। उन्होंने इसे वापस लेने के लिए मत विभाजन की मांग की।
सुषमा की मांग को अस्वीकार करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी, चूंकि विधेयक पेश नहीं किया गया है इसलिए इस पर मत विभाजन की कोई आवश्यकता नहीं है।
इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, "यह सही है कि सरकार ने इस विधेयक को पेश नहीं किया है लेकिन यह भी सही है सरकार ने इसे पेश करने के लिए आज की कार्यसूची में इसे सूचीबद्ध किया था। इसे वापस लेना भी सरकार का अधिकार है लेकिन सदन यह जानना चाहता है कि आखिर क्यों सरकार ने इस विधेयक को पेश करने से अपने हाथ पीछे खींच लिए।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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