दलाई लामा द्वारा पंचेन लामा का चुनाव अवैध : चीन
पंचेन लामा एक वरिष्ठ तिब्बती धार्मिक गुरु हैं।
तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रीय सरकार के अध्यक्ष पद्मा चोलिंग ने कहा कि दलाई लामा द्वारा चुना गया पंचेन लामा वैध नहीं है और वह तिब्बत में एक आम आदमी के रूप में अच्छी जिंदगी गुजार रहा है।
उन्होंने कहा कि दलाई लामा के पुनर्जन्म से जुड़े मुद्दों पर अब चर्चा करने की कोई जरूरत नहीं है।
पद्मा ने कहा कि दलाई लामा अलगाववादी समूहों के पुरोधा और तिब्बत में अस्थिरता के जिम्मेदार हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने पद्मा के हवाले से लिखा है कि दलाई लामा ने दुनिया और मीडिया से जो झूठ बोले हैं उनकी वजह से तिब्बत के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि बीजिंग द्वारा चुने गए 11वें पंचेन लामा बैनक्वेन एरदिनी क्विगयिजाबू को तिब्बत के सभी जातीय समूहों से बेहद प्यार और समर्थन प्राप्त है।
वर्ष 1995 में धार्मिक अनुष्ठानों और तिब्बती बौद्ध धर्म की परंपराओं के साथ चुने गए 11वें पंचेन लामा को केंद्रीय सरकार मंजूरी दे चुकी है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति विशेष पुनर्जन्म के बारे में निर्णय नहीं दे सकता इसके लिए कठिन धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना जरूरी होता है।
दलाई लामा वर्ष 1959 से भारत में रह रहे हैं। साथ ही एक लाख निर्वासित तिब्बती भी यहां रहते हैं।
दलाई लामा ने कुछ वर्ष पूर्व एक साक्षात्कार में कहा था कि वह अपना उत्तराधिकारी जीवनकाल में ही चुन सकते हैं या फिर इस काम को धर्मगुरुओं को सौंप सकते हैं।
दलाई लामा की यह इच्छा परंपरा से हटकर है क्योंकि बौद्ध धर्म के अनुयायी मानते हैं कि वर्तमान दलाई लामा पहले के दलाई लामा के ही अवतार हैं यानी उनका पुनर्जन्म हुआ है।
दलाई लामा इस बात को भी कई बार दोहरा चुके हैं कि अगर उनका पुनर्जन्म होता है तो वह चीन शासित प्रदेश या ऐसी किसी जगह नहीं होगा जो स्वतंत्र नहीं है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।