सऊदी अरब वार्ताकार हो सकता है, मध्यस्थ नहीं : थरूर (लीड-1)
थरूर इन दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ तीन दिवसीय रियाद दौरे पर हैं। थरूर ने यहां भारतीय पत्रकारों से कहा, "हम महसूस करते हैं कि सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ लंबा और करीबी रिश्ता है। इस कारण वह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण वार्ताकार हो सकता है।"
थरूर ने हालांकि स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ आतंक संबंधी मुद्दों पर रियाद से सहयोग लेने की नई दिल्ली की इच्छा का अर्थ उसे दोनों पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय विवाद में मध्यस्थ की भूमिका देना नहीं है।
थरूर उस प्रश्न का जवाब दे रहे थे, जिसमें उनसे पूछा गया था कि पाकिस्तानी क्षेत्र से जारी आतंकवाद पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने में क्या भारत, सऊदी अरब से मदद लेना चाहेगा।
थरूर ने कहा कि अलकायदा के साथ सऊदी अरब के अपने खुद के मुद्दे हैं।
भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि आतंकवाद के मुद्दे पर रचनात्मक बातचीत होगी क्योंकि यह अफगानिस्तान से इराक, लेबनान से फिलिस्तीन और अब यमन में फैल चुका है।"
थरूर ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि थरूर ने इस मामले में सऊदी अरब के लिए 'मध्स्थ' होने या 'मध्यस्थता' करने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था।
ज्ञात हो कि खाड़ी के सबसे प्रभावशाली देश सऊदी अरब ने नब्बे के दशक के मध्य में काबुल में तालिबानी शासन को मान्यता दी थी। साथ ही सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ भी अच्छे रिश्ते हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस समय अपनी तीन दिवसीय यात्रा पर रियाद में हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच एक प्रत्यर्पण संधि समेत कई अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।