हुसैन ने स्वीकारी कतर की नागरिकता
मुंबई, 27 फरवरी (आईएएनएस)। देश के प्रख्यात कलाकार मकबूल फिदा हुसैन ने कतर की नागरिकता स्वीकार कर ली है। हुसैन के बेटे ओवाइस हुसैन कहते हैं कि उनके पिता को इस उम्र में अपनेपन का एहसास मिलना बेहद जरूरी था इसलिए उन्होंने यह नागरिकता स्वीकारी।
हिंदू अतिवादियों के निशाने पर रहे 95 वर्षीय हुसैन की हिंदू देवी-देवताओं पर बनाई पेंटिंग्स के लिए उनके खिलाफ देशभर में दर्जनों मुकदमें चल रहे हैं। वह वर्ष 2006 से ही विदेशों में रह रहे हैं।
उनके फिल्मकार, लेखक और चित्रकार बेटे ओवाइस हुसैन ने दुबई से फोन पर आईएएनएस को बताया कि हुसैन शुक्रवार को दुबई से कतर के लिए रवाना हुए हैं।
ओवाइस ने बताया, "हां, वह कतर चले गए हैं वहां एक बड़े समुदाय ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया है। वह अपने नए घर में अकेले ही गए हैं।"
उन्होंने कहा, "मेरे पिता ने उनका प्रस्ताव (कतर की नागरिकता) स्वीकार कर लिया है। मुझे लगता है कि कई साल तक अपने वास्तविक घर (भारत में) से दूर रहने के बाद इस उम्र में उनके द्वारा अपनाए हुए एक देश में उनके लिए अपनेपन का एहसास होना जरूरी था।"
हुसैन के प्रशंसकों और ख्यात कलाकारों की मांग है कि उनकी स्वदेश वापसी के लिए मदद की जाए।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का कहना है कि हुसैन देश में कहीं भी रहने के लिए स्वतंत्र हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जोर दिया है कि उनकी जिंदगी के लिए कोई खतरा नहीं है। इस सब के बाद भी अदालत में चल रहे मामलों के अलावा उन्हें कुछ हिंदू गुटों के खतरों का भी सामना करना पड़ रहा है।
ओवाइस ने अपने पिता पर 'लेटर्स टू माई सन एबाउट माई फादर' नाम से एक वृत्तचित्र का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता का कतर में एक नई फीचर फिल्म बनाने का इरादा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।