क्या वाकई खुद को पहचानते हैं आप?
अब सेंट लुई के वाशिंगटन युनीवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडीसिन (डब्ल्यूयूएसएम) की एक मनोवैज्ञानिक ने यह दावा किया है कि हम स्वयं अपने बारे में सब कुछ नहीं जानते हैं।
डब्ल्यूयूएसएम की प्रोफेसर सिमिन वैजायर कहती हैं कि मानव अपने आंतरिक या तंत्रिका-विकार से संबंधित लक्षणों जैसे चिंता को ज्यादा सही ढंग से पहचान लेते हैं।
वैजायर के अनुसार व्यक्तित्व उन अंतर्निहित लक्षणों से बनता है जो हमारे व्यवहार में होते हैं। बुद्धिमानी से जुड़े लक्षणों जैसे बुद्धि और रचनात्मकता को हमारे दोस्त ज्यादा बेहतर ढंग से पहचानते हैं।
वह कहती हैं, "व्यक्तित्व वह नहीं है जो आप सोचते हैं। आप जो हैं वही व्यक्तित्व है। कुछ लोग परिभाषा के अनुसार सोचते हैं कि वे अपने व्यक्तित्व के विशेषज्ञ हैं क्योंकि वे कहानी लिख लेते हैं लेकिन व्यक्तित्व कहानी नहीं है। यह वास्तविकता है।"
विशेषज्ञों का कहना है कि व्यक्तित्व कई चीजों से मिलकर बनता है। इसमें पहनावा, शयन कक्ष की व्यवस्था और यहां तक कि वेबसाइट और फेसबुक पर आपसे संबंधित जानकारी भी शामिल होती है।
उन्होंने कहा, "आप जिस किसी के संपर्क में आते हैं उसके ऊपर अपने व्यक्तित्व की एक छाप छोड़ देते है। आप ऐसा जानबूझकर नहीं करते हैं। आप अपने व्यक्तित्व की कुछ ऐसी बातें उन्हें बता देते हैं जिनसे आप स्वयं अनभिज्ञ होते हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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