वार्ता से पहले हिंसा छोड़ें नक्सली: गृहमंत्री
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में चिदम्बरम ने कहा, कि यदि नक्सली हिंसा छोड़ दें तो सरकार किसी भी विषय पर वार्ता के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी नक्सलियों के सामने ऐसे प्रस्ताव रख चुकी है, लेकिन वो नहीं माने, जिस कारण सरकार को मजबूरी में नक्सल विरोधी अभियान शुरू करना पड़ा। यदि हिंसा नहीं खत्म हुई तो सरकार यह अभियान जारी रखने के लिए विवश है।
सरकार का उद्देश्य नक्सलियों की हत्या नहीं
चिदम्बरम ने कहा कि इन सभी राज्यों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान धीरे लेकिन लगातार जारी है और प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी के कई महत्वपूर्ण नेताओं की गिरफ्तारी इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा, "यह मीडिया और स्वयंसेवी संस्थाओं के एक वर्ग के कुछ महीने पहले किए गए प्रचार के विपरीत भी है कि इन अभियानों में भारी नरसंहार होगा। हमने स्पष्ट कर दिया है कि इन अभियानों का उद्देश्य हत्या करना नहीं है।"
चिदंबरम ने कहा, "वे हमारे लोग हैं, हमें उनके जीवन की चिंता है। इसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित इलाकों में नागरिक प्रशासन को फिर से स्थापित करना है। मेरे विचार में प्रगति धीमे लेकिन लगातार हो रही है।" उन्होंने कहा कि ऐसे अभियानों की प्रगति को क्रिकेट मैच के स्कोर बोर्ड की तरह नहीं देखा जा सकता। नक्सली खतरे पर चर्चा के लिए हुई बैठक में पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के मुख्यमंत्री, झारखण्ड के दो उपमुख्यमंत्री और इन राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।