सर्वोच्च न्यायालय में होगी नीलूराणा हत्याकांड मामले की सुनवाई
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश एच़ एस. बेदी और न्यायाधीश जे. एम़ पंचाल की खण्डपीठ के सामने सोमवार को सूचीबद्घ हुए इस मामले में सी़ बी़ आई़ की ओर से केंद्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता हरिन पी़ं रावल और राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता डॉ़ मनीष सिंघवी ने पैरवी की।
राजस्थान के कोटा संभाग में 20 मई, 1998 को घटित हुए नीलूराणा हत्याकांड मामले में निचली अदालत द्वारा आरोपी अकुंश वधावा और पुलिस अधिकारी द्वारका प्रसाद को दोषी करार दिया गया था तथा अकुंश वधावा को भारतीय दंड संहिता (आई़ पी़ सी़ ) की धारा 302 के अन्तर्गत दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जांच के दौरान ही यह मामला केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी़ बी़ आई) को भी हस्तान्तरित कर दिया गया था।
निचली अदालतन के फैसले के विरूद्घ राजस्थान उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका को स्वीकार करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने 20 नवम्बर, 2008 को दिए गये अपने फैसले में अकुंश वधावा और द्वारका प्रसाद को दोष मुक्त करार दिया।
राजस्थान उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सी़ बी़ आई़) और राजस्थान सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पृथक-पृथक विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई, जिसे स्वीकार करते हुए सवोच्च न्यायालय ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मामले की सुनवाई करने की अनुमति प्रदान कर दी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।