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यूरोप में भी खूब पढ़ी जाती है हिंदी : फ्रंचेस्का ओरसिनी

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नई दिल्ली, 20 जनवरी (आईएएनएस)। हिंदी साहित्य के कद्रदान न केवल भारत में हैं बल्कि विदेशों में भी हैं। यूरोपीय देशों में छात्रों के बीच हिंदी के प्रति आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। यह कहना है कि लंदन विश्वविद्यालय में हिंदी की प्रोफेसर फ्रंचेस्का ओरसिनी का।

फ्रंचेस्का लंदन विश्वविद्यालय के 'स्कूल ऑप ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज' (एसओएएस) में हिंदी पढ़ाती हैं। मंगलवार को नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने पहुंची फ्रंचेस्का ने कहा कि विदेशों में हिदी साहित्य, खासकर 19वीं सदी के साहित्य के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ा है।

आईएएनएस के साथ बातचीत में फ्रंचेस्का ने कहा कि 'स्कूल ऑप ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज' में हिंदी में स्नातक करने वाले छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष लगभग 30 छात्रों ने हिंदी विषय में दाखिला लिया। मूल रूप से इटली की रहने वाली फ्रंचेस्का का मानना है कि हिंदी साहित्य में शोध की संभावना अनंत है।

फ्रंचेस्का ने कहा कि उन्हें हिंदी भाषा के प्रति ख्रास लगाव है। उन्होंने हिंदी में स्नातक वेनिस विश्वविद्यालय से किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। उन्होंने '1920-1930 में हिंदी के प्रसार' विषय में पीएचडी की।

एसओएस से जुड़ने से पूर्व फ्रंचेस्का 11 वर्षो तक कैंब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़ी रहीं। उन्होंने कहा कि वह हिंदी साहित्य क्षेत्र में अधिक से अधिक शोध करना चाहती हैं। फ्रंचेस्का ने कहा कि उनका ध्यान विशेष रूप से आधुनिक हिंदी साहित्य पर है। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य में महिलाओं के स्थान पर भी वह विशेष रूप से अध्ययन कर रही हैं।

इटली के मिलान शहर की मूल निवासी फ्रंचेस्का ने कहा कि उन्हें दक्षिण एशियाई देशों से खास लगाव है। इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक में लिखी- 'लव इन साउथ एशिया'।

फिलहाल फ्रंचेस्का 'प्रिंट के लोकप्रिय पक्ष: 19वीं सदी का ऊर्दू/हिंदी साहित्य छापेखानों की नजर से' विषय पर अध्ययन कर रही हैं। इस विषय पर उन्होंने एक पुस्तक भी तैयार किया है। उन्होंने कहा कि छात्रों को हिंदी साहित्य के विभिन्न पक्षों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमें हिंदी और ऊर्दू को साथ लेकर अध्ययन करना चाहिए। इससे कई चीजें हमारे सामने आ जाएगी।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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