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दिल्ली हवाई अड्डे का पुराने विमानों पर 'न्वाइज टैक्स' का प्रस्ताव (लीड-1)

By Staff
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फ्रैंकफर्ट, 23 दिसम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली हवाईअड्डे का संचालन करने वाली कंपनी ने ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए पुराने विमानों पर वर्ष 2012 तक एक नए कर का प्रस्ताव किया है, खासतौर से देर शाम और तड़के सुबह उतरने वाली उड़ानों पर।

दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (डीआईएएल) के प्रवक्ता अनिरुद्ध चटर्जी ने आईएएनएस को बताया, "हमारी योजना शोर पर नियंत्रण करने और नई पीढ़ी के, कम शोर मचाने वाले विमानों को बढ़ावा देने की है।"

चटर्जी ने संकेत किया कि ये पर्यावरणीय कदम उनके संयुक्त उपक्रम में साझेदार फ्रैपोर्ट द्वारा उठाए जाएंगे। फ्रैपोर्ट ठीक इसी तरह का कार्यक्रम फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर भी लागू कर रही है।

फै्रपोर्ट के मुख्य कार्यकारी स्टीफेन स्कल्टे ने कहा, "कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन पर कर लगाकर ध्वनि नियंत्रक उपायों को सक्रिय करने के लिए हम बचनबद्ध हैं।"

स्कल्टे ने आईएएनएस को बताया, "वर्ष 2020 तक उत्सर्जन में 30 प्रतिशत तक की कटौती की संभावना है।" स्कल्टे की कंपनी यहां हवाईअड्डे का प्रबंधन करती है और राष्ट्रीय राजधानी के हवाई अड्डा उपक्रम में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है।

विद्युत, अचल संपत्ति और अधोसंरचना क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जीएमआर का डीआईएएल में 54 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इसमें भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण की 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है और एरामैन मलेशिया की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से करीब 650 उड़ानों का प्रतिदिन संचालन होता है।

अधिकारियों ने कहा है कि फिलहाल भारत में हवाईअड्डों पर ध्वनि प्रदूषण के लिए कोई मानक नहीं है और सभी नियमों और कानूनों को विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा मंजूरी की आवश्यकता होती है।

इन प्राधिकरणों में हवाईअड्डा आर्थिक नियामक प्राधिकरण, उड्डयन मंत्रालय, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण और पर्यावरण मंत्रालय शामिल हैं।

भारत के उड्डयन उद्योग में अपेक्षाकृत ईंधन समृद्ध विमानों की संख्या अधिक है। लेकिन विदेशों से आने वाले कई सारे विमान बहुत पुराने हैं। नए विमान कम शोर मचाते हैं क्योंकि उनमें कम ध्वनि करने वाले इंजिन लगे हुए होते हैं।

फ्रैपोर्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक अंसगर सिकर्ट ने कहा है, "ध्वनि प्रदूषण संबंधी कर लगाने की हमारी नीति यह सुनिश्चित कराती है कि जिन विमानन कंपनियों के पास कम शोर मचाने वाले विमान हैं वे बुनियादी वित्तीय लाभों का आनंद उठा सकती हैं।"

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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