'फिर लौटा काबुलीवाला'
नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। अपनी झोली में ढेरों किस्मों के सूखे मेवों की सौगात लिए काबुलीवाला एक बार फिर हिंदुस्तान की सरजमीं आ पहुंचा है।
दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के हॉल नंबर 12 ए में लगे अफगानिस्तान के मंडप को देख रवींद्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कहानी 'काबुलीवाला' की याद बरबस ही जहन में कौंध जाती है। उस कहानी के काबुलीवाले की ही तरह पठानी सूट और पगड़ी पहने करीब 50 अफगान व्यापारी इस मंडप में मौजूद हैं।
ढेरों किस्मों के सूखे मेवे, जड़ी-बूटियां, फल, केसर और नायाब कारीगरी का नमूना पेश करते अफगानी कालीन यहां आने वालों के आकर्षण का विशेष केंद्र बने हुए हैं।
अफगानिस्तान के नंगरहार के सूखे मेवों के कारोबारी रहमानुल्लाह खान का कहना है, "पिछले दो साल यहां हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। पिछले साल हमारे विक्रेताओं ने यहां प्रतिदिन 10,000 से 15,000 डॉलर की बिक्री की थी। मुझे उम्मीद है कि यह साल पिछले साल से बेहतर रहेगा। मुझे उम्मीद है कि व्यापार के लिए आरक्षित पांच दिनों के दौरान कुछ अच्छे भावी समझौते हो सकेंगे।"
मंडप में मौजूद कुछ अन्य व्यापारियों ने बताया कि बादाम, पिस्ता, काजू और किशमिश को लेकर भारत में बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। अब्दुल नजीब नाम के एक अन्य कारोबारी ने बताया, "हमारे फलों की यहां हमेशा से भारी मांग रही है। खारी बावली के कारोबारी हमारे स्टाल्स पर बड़ी तादाद में आ रहे हैं। इस साल मैं देख सकता हूं कि हमारे कालीन की मांग भी बहुत अच्छी है।"
मंडप में आए लवली सिंह नाम के एक भारतीय कारोबारी ने कहा, "अफगानी सूखे मेवे बहुत ही उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। वे बहुत अच्छे होते हैं। आखिर वे काबुलीवाला हैं।"
अफगान व्यापारी भारत सरकार की ओर से मिल रहे प्रोत्साहन से भी प्रसन्न हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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