सर्वोच्च न्यायालय ने अंसल बंधुओं को दी जमानत (लीड-1)
न्यायमूर्ति बी.एस. सिन्हा और वी.एस. सिरपुरकर की खंडपीठ ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान अंसल बंधुओं को उनके जेल जाने के 102वें दिन जमानत दी।
ज्ञात हो कि अंसल बंधुओं को यह जमानत तब मिली है, जब ठीक एक सप्ताह पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.एन. अग्रवाल ने अंसल बंधुओं की याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया था।
दरअसल, यह वही न्यायमूर्ति अग्रवाल हैं जिन्होंने उपहार अग्निकांड पीड़ितों की ओर से दायर याचिका पर अंसल बंधुओं को 10 सितंबर को जेल भेजने का आदेश दिया था।
इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अंसल बंधुओं की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका पिछले शुक्रवार को न्यायमूर्ति अग्रवाल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।
इस पर अंसल बंधुओं की ओर से कहा गया कि वे वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी को मामले में बतौर वकील प्रस्तुत करना चाहते हैं। लेकिन राम जेठमलानी को न्यायमूर्ति अग्रवाल के सामने आने में संकोच हो रहा है, क्योंकि वर्ष 2005 में उन्होंने न्यायमूर्ति अग्रवाल पर दो विवादास्पद लेख लिखे थे।
अंसल बंधुओं के इस आग्रह पर न्यायमूर्ति अग्रवाल ने मामले की सुनवाई से इंकार कर दिया।
एक सप्ताह बाद मामला न्यायमूर्ति बी.एस. सिन्हा और वी.एस. सिरपुरकर की खंडपीठ के समक्ष आया। राम जेठमलानी अपनी बहस अभी पूरी भी नहीं कर पाए थे कि सर्वोच्च न्यायालय ने पांच मिनट की सुनवाई के भीतर अंसल बंधुओं को जमानत दे दी।
अदालत ने जमानत के साथ ही उपहार त्रासदी पीड़ित संघ (एवीयूटी) की ओर से दाखिल एक याचिका के मामले में अंसल बंधुओं को नोटिस भी जारी किया।
एवीयूटी ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा अंसल बंधुओं की सजा की अवधि कम किए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी।
ज्ञात हो कि दक्षिण दिल्ली में अंसल बंधुओं के स्वामित्व वाले उपहार सिनेमा में हुए इस अग्निकांड में 22 बच्चों समेत 59 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हो गए थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।