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झारखंड में राष्ट्रपति शासन, विपक्ष फिर भी नाखुश (राउंडअप)

By Staff
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संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के नेताओं ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि संप्रग नेताओं ने यह भी कहा है कि उनके पास बहुमत है लेकिन उन्होंने अपने विकल्प खुले रखे हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को बिना निर्धारित कार्यक्रम के हुई संक्षिप्त मंत्रिमंडलीय बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने केंद्र सरकार को रविवार देर रात फैक्स के माध्यम से भेजे पत्र में कहा था कि 12 जनवरी को शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से राज्य में उपजी राजनीतिक अस्थिरता की वजह से अनिश्चितता का माहौल बन गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने आईएएनएस से कहा, "राष्ट्रपति शासन पहले ही लगा दिया जाना चाहिए था। विधानसभा को निलंबन की स्थिति में रखकर केंद्र सरकार प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रही है।"

उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा को भंग कर ताजा चुनाव कराने चाहिए।

कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए राज्य के मौजूदा हालात के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन को जिम्मेदार ठहराया।

कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा, "केंद्र के समक्ष राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। सोरेन के हठधर्मी रवैये ने राज्य को वर्तमान स्थिति की ओर ढकेल दिया। राजनीतिक संकट सोरेन ने ही पैदा किया था।"

दूसरी ओर राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और निर्दलीय विधायक स्टीफेन मरांडी ने भी सोरेन को निशाना बनाते हुए कहा, "परिवार के लिए सोरेन के अंधे प्रेम और राजनीतिक अदूरदर्शिता ने राज्य को वर्षो पीछे पहुंचा दिया है।"

उधर, झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोरेन पर लगाए जा रहे आरोपों को खारिज करते हुए कहा, "केंद्रीय नेताओं के निर्देश के मुताबिक हमने अपना नेता चुना लेकिन संप्रग में शामिल दल उस पर एक राय बनाने में नाकाम रहे।"

इस बीच, राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की केंद्र की मंजूरी के बाद राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने राज्य के आला प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर राज्य की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की।

राजभवन के एक अधिकारी के मुताबिक राज्यपाल ने मुख्य सचिव ए. के. बसु और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वी. डी. राम को तलब कर राज्य की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की।

इस अधिकारी ने आईएएनएस को बताया, "मुख्य सचिव व डीजीपी ने राज्य में कानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति और विकास योजनाओं के बारे में राज्यपाल को अवगत कराया। मुख्य सचिव ने राजेंद्र मेडिकल कालेज व अस्पताल के जूनियर डाक्टरों व सरकारी कर्मचारियों द्वारा आहूत बंद के बारे में भी रजी को विस्तृत ब्योरा दिया।"

सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने मुख्य सचिव को हड़तालकर्मियों से वार्ता करने का निर्देश दिया। रजी ने राज्य की कानून व्यवस्था पर चिंता भी जताई।

सोरेन ने तमाड़ सीट से चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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