शिवराज ने की राष्ट्रीय पहचान पत्र दिए जाने की मांग
प्रधानमंत्री द्वारा देश की आतंरिक सुरक्षा पर बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए चौहान ने भारत सरकार से आग्रह किया कि आतंकवाद से निपटने के लिये क्षेत्रीय स्तर पर मध्यप्रदेश में एन.एस.जी. के विशेष कार्य समूह की स्थापना की जाए।
उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इसके लिये नि:शुल्क भूमि और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। मुख्यमंत्री केन्द्र द्वारा आतंकवाद के खिलाफ अपनाए जा रहे लचर रवैए पर भी बरसे।
शिवराज ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा तैयार किया गया 'नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) एक्ट 2008' राज्य सरकारों के क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण है। इससे संघीय व्यवस्था प्रभावित होगी ।
उन्होंने केन्द्र पर आरोप लगाया कि इस मामले में राज्य सरकारों की सहमति नहीं ली गई है। शिवराज ने कहा कि देश का वर्तमान कानूनी ढांचा आतंकवाद का सामना करने के लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि हाल ही में बनाये गये एनआईए अधिनियम के प्रावधान आतंकवाद से प्रभावी रूप से निपटने के लिये कारगर नहीं है।
चौहान ने कहा कि इस अधिनियम में पोटा एवं मकोका में उपलब्ध आतंकवाद से सम्बन्धित अपराधों की विवेचना की प्रक्रियात्मक व्यवस्था नहीं हैं। उन्होंने बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री के 27 दिसम्बर 2008 को राज्यों को भेजे पत्र की भाषा की ओेर ध्यान दिलाते हुये केन्द्रीय गृहमंत्री से कहा कि वे मुख्यमंत्री की गरिमा का ख्याल रखें।
उन्होंने कहा कि गृहमंत्री द्वारा भेजे गये पत्र में मुख्यमंत्रियों को दिए गये सुझाव आदेशात्मक स्वरूप के थे। उन्होंने कहा कि पत्र की भाषा संघीय व्यवस्था एवं निर्वाचित मुख्यमंत्रियों के पद की गरिमा के अनुकूल नहीं थे। गृहमंत्री को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक संघीय व्यवस्था में समन्वय, परस्पर सहयोग और सहमति की परम्परा को बनाए रखना अधिक श्रेयस्कर होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।