लुप्त हो रही भाषाओं के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं एसएमएस
न्यूयार्क, 6 जनवरी(आईएएनएस)। टेक्स्ट संवादों के लिए अंग्रेजी को हद से ज्यादा तवज्जो देने के कारण दूसरी कई भाषाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। उपयुक्त तकनीकी की बदौलत सेलफोन को इन भाषाओं के संरक्षण का हथियार बनाया जा सकता है। यह मानना है विशेषज्ञों का।
भाषाविदों को आशंका है कि निकट भविष्य में दुनिया की करीब 50 फीसदी भाषाएं लुप्त हो जाएंगी। वे अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषाओं में भी एसएमएस भेजे जाने को बढ़ावा देने पर जोर दे रहे हैं। 'वाल स्ट्रीट जर्नल' के मुताबिक ये भाषाविद और भाषा अधिकारवादी कार्यकर्ता कम बोली जाने वाली भाषाओं में भी सेलफोन के जरिए एसएमएस भेजे जाने के पैराकार हैं। इससे लोग अपनी भाषा में एसएमएस भेजने के आदी बनेंगे।
सैन फांसिस्को के लॉन्ग नाउ फाउंडेशन के रोसेटा प्रोजेक्ट की निदशेक लॉरा वेलचर का कहना है कि दुनिया में ऐसी कम से कम 200 भाषाएं हैं जिन्हें बोलने वालों की संख्या बड़ी है। इन भाषाओं के लिए उपयुक्त और सरल सेलफोन एसएमएस सॉफ्टवेयर विकसित किए जाने चाहिए।
वह कहती हैं, "तकनीक लोगों के सशक्तिकरण में अहम रोल अदा करती है। किसी भाषा को ध्यान में रखकर मोबाइल सेट या सॉफ्टवेयर विकसित कर उस भाषा और जनता का सशक्तिकरण किया जा सकता है।" जेलिक और वेल्श जैसी भाषाओं में यह प्रयोग शुरू हो गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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