ईरान के साथ ओबामा की सख्ती जर्मनी को नाराज कर सकती है
लैस्जलो ट्रांकोवित्स
वाशिंगटन, 3 जनवरी(आईएएनएस)। अमेरिकी चुनावी सरगर्मी, आर्थिक मंदी और मध्य-पूर्व संकट के कारण भले ही ईरानी एटमी विवाद कुछ वक्त के लिए हाशिए पर चला गया, पर इसे वर्ष 2009 की प्रमुख चुनौतियांे में शुमार किया जा रहा है। ईरान के साथ सख्ती बरतकर अमेरिका जर्मन की नाराजगी झेल सकता है।
समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार ईरानी एटमी कार्यक्रम को शीर्ष रणनीतिक शोध संगठनों के एक छात्र संगठन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस एंड ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार दिया है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ईरान 2009 में एटमी हथियार न सिर्फ विकसित कर लेगा, बल्कि इसका परीक्षण भी करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख मोहम्मद अलबरदेई का यह बयान चिंताजनक है कि अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी ईरान की एटमी महत्वाकांक्षा को खत्म करने में नाकाम रही है।
अमेरिका की एक बड़ी परेशानी यह है कि अगर वह ईरान के साथ हद से ज्यादा सख्ती बरतता है तो उसे यूरोप के कई देशों, खासकर जर्मनी, की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। जर्मनी ईरान का प्रमुख आर्थिक भागीदार है। 75 फीसदी मंझोली और छोटी ईरानी कंपनियों में जर्मन उपकरण इस्तेमाल होते हैं। बीते साल के प्रथम सात महीनों में द्विपक्षीय व्यापार में 14़1 फीसदी की वृद्घि हुई।
कई अमेरिकी अखबार जर्मनी के रुख की आलोचना कर रहे हैं। वाल स्ट्रीट जर्नल ने 'जर्मनी को ईरान से प्यार है' शीर्षक रिपोर्ट में जर्मनी की जमकर आलोचना की है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।