अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में ताइवान की भागीदारी के मुद्दे पर चर्चा के लिए चीन तैयार : हू
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार ताइवान को 'मुख्य भूमि में शामिल होने' के लिए चीन के प्रस्ताव की 30 वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति हू जिंताओ ने कहा कि भले ही ताइवान खाड़ी के दोनों हिस्से वर्ष 1949 में एक गृहयुद्ध के बाद अलग हो गए, परंतु राजनीतिक मतभेदों के बावजूद इस तथ्य को बदला नहीं जा सकता कि दोनों एक चीन से संबंधित हैं।
चीन में सत्ता पर कम्युनिस्टों के कब्जे के बाद ताइवान ने अपनी अलग सरकार बनाई और वर्ष 1971 तक संयुक्त राष्ट्र में चीन का प्रतिनिधित्व करता रहा। चीन के 1971 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने के बाद ताइवान को संयुक्त राष्ट्र से बाहर कर दिया गया, लेकिन बाहर हो जाने के बावजूद वह इस विश्व संस्था के साथ जुड़ने का असफल प्रयास करता रहा है। चीन उसके इस प्रयास का विरोध करता है। उसका कहना है कि विश्व संस्था में ताइवान का शामिल होना उसके स्वतंत्र राष्ट्र होने की घोषणा के समान है।
हू ने कहा कि कोई भी 'एक चीन' की समान समझ के आधार पर दोनों पक्षों से बात कर सकता है। जो भी ताइवान खाड़ी के दोनों ओर शांतिपूर्ण विकास को बढ़ावा देगा, हम उसका समर्थन करेंगे, यदि कोई उसे नुकसान पहुंचाएगा तो उसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
हू जिंताओ ने दोनों पक्षों से राजनीतिक टकराव रोक कर शांति समझौते के लिए कदम बढ़ाने का आग्रह किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।