'बच्चे की स्थिति में सुधार के लिए समर्पण की जरूरत'
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। बच्चों के अधिकारों को लेकर आवाज उठाने वाली संस्थाओं के देशभर से आए प्रतिनिधियों ने सोमवार को राजधानी में कहा कि तमाम नारों व कार्यक्रमों के बावजूद लाखों बच्चों की स्थिति चिंताजनक हैं। इस समस्या के समाधान के लिए और समर्पण भाव से काम करने की जरूरत है।
राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में गैर सरकार संगठन 'चेतना' की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन में देश भर से विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए। इस मौके पर चेतना संचालन परिषद के अध्यक्ष ए. आर. नंदा ने कहा, "बच्चों के अधिकार को लेकर सरकार भी चिंतित है और अच्छी नीतियां बनाई जा रही हैं। लोगों का भी समर्थन मिल रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर इन नीतियों का असर नजर नहीं आ रहा है। यह चिंता की बात है।"
इस मौके पर 'सेंटर फॉर सोशल रिसर्चर्' (सीएसआर) की निदेशक डा. रंजना कुमारी ने कहा कि लिंग आधारित भेदभाव अत्यधिक चिंता का विषय है। यह जरूरी है कि पूरी संवेदनशीलता के साथ योजनाबद्ध तरीके से इन मुश्किलों से निपटा जाए।
चेतना की उप निदेशक मीनाक्षी शर्मा ने कहा, "बेटियों के प्रति समाज में सकारात्मक मानसिकता पैदा करने व लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने के लिए यहां हम इकट्ठा हुए हैं।"
सम्मेलन में शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए वक्ताओं ने कहा कि गुजरात सरकार द्वारा चलाए गए 'बेटी बचाओ अभियन' से स्थिति में सुधार हुआ है। यदि सरकार और गैर सरकारी संगठनों के साझा कार्यक्रमों द्वारा इस दिशा में कोशिश जारी रही तो सकारात्मक परिणाम आएंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।