मप्र में स्कूली शिक्षा में सुधार लाने के लिए निजी जनभागीदारी की पैरवी
भोपाल, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की स्कूली शिक्षा में और सुधार लाने में निजी जन भागीदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) कारगर हथियार साबित हो सकती है। जिन देशों में इस रीति को अपनाया गया है वहां बेहतर नतीजे मिले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश में अगर इस रीति को शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनाया जाए तो हालात बदले जा सकते हैं।
भोपाल, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की स्कूली शिक्षा में और सुधार लाने में निजी जन भागीदारी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) कारगर हथियार साबित हो सकती है। जिन देशों में इस रीति को अपनाया गया है वहां बेहतर नतीजे मिले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश में अगर इस रीति को शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनाया जाए तो हालात बदले जा सकते हैं।
प्रदेश की स्कूली शिक्षा में निजी भागीदारी लाने के लिए सोमवार से शुरू हुए दो दिवसीय मंथन सम्मेलन में हिस्सा लेने आए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (डी़ आई़ डी़) इंग्लैंड सहित कई देशों के प्रतिनिधियों ने मौजूदा हालातों में सुधार लाने के लिए इस रीति को अपनाने का समर्थन किया।
विश्व बैंक के शिक्षा विशेषज्ञ डॉ़ सेम कार्लसन का मानना है कि शिक्षकों के पढ़ाने के तरीके में सुधार लाए बगैर गुणवत्ता की कल्पना करना बेमानी है। इसको अंजाम तक तभी पहुंचाया जा सकता है जब उसमें निजी जन भागीदारी तय हो। उन्होंने अमेरिका, लातिन अमेरिका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया आदि अन्य देशों में इस रीति के विभिन्न प्रयोगों और उनसे सामने आए नतीजों का ब्योरा दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए प्रदेश सरकार विशेष रणनीति बनाए और गुणवत्ता सुधारने के विभिन्न माडलों पर काम करें।
डी़ आई़ डी़ इंग्लैंड के शिक्षा विशेषज्ञ डॉ़ माइकल वार्ड ने निजी जन भागीदारी के माध्यमिक शिक्षा में हुए प्रयोगों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि पढाई के स्तर में सुधार तो आया ही है साथ में समाज को भी इस रीति के प्रयोग के लाभ मिले हैं। इस मौके पर राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त मनोज झालानी ने विचार विमर्श को महत्वपूर्ण कड़ी करार दिया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।