बीजिंग ओलंपिक : दोस्तों ने कहा शर्मीला और अंतर्मुखी है अभिनव
चंडीगढ़, 11 अगस्त (आईएएनएस)। ओलंपिक खेलों में देश को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को उनके माता-पिता, साथी और शिक्षक एक ऐसे शर्मीले और अंतर्मुखी लड़के के रूप में याद करते हैं जो अपने लक्ष्य को लेकर हमेशा एकाग्रचित्त रहा है।
चंडीगढ़, 11 अगस्त (आईएएनएस)। ओलंपिक खेलों में देश को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा को उनके माता-पिता, साथी और शिक्षक एक ऐसे शर्मीले और अंतर्मुखी लड़के के रूप में याद करते हैं जो अपने लक्ष्य को लेकर हमेशा एकाग्रचित्त रहा है।
चंडीगढ़ के सेंट स्टीफेंस स्कूल के प्रधानाध्यापक हैरॉल्ड कार्वर ने अभिनव को याद करते हुए कहा, "वह हर चीज में बेहतर प्रदर्शन करता था। उसने कक्षा 12 में वाणिज्य संकाय में पहला स्थान पाया था। निशानेबाजी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बावजूद उसने कभी अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया। "
कार्वर ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत करते हुए बताया, "वह एक शर्मीला और अपने आप में गुम रहने वाला बच्चा था लेकिन शुरू से ही वह अपने लक्ष्य को लेकर एकदम सचेत रहता था। उसे यह अच्छी तरह पता था कि कठिन परिस्थितियों में अपने आप को कैसे नियंत्रण में रखा जाए।"
अभिनव की मां बाबी बिंद्रा ने कहा, "उसके स्कूल ने हमेशा सहयोगी रवैया अपनाया। यहां तक कि उसके प्रधानाध्यापक ने शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों को समझा बुझा कर कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाएं तक दोबारा आयोजित करवाईं थीं ताकि वह सिडनी में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में भाग ले सके।"
बेदी ने बताया कि अभिनव ने कभी उनसे किसी चीज की मांग नहीं की बल्कि हमीं उसे चीजें खरीदने के लिए मजबूर करते थे। उसका एक ही प्रेम था निशानेबाजी, इसीलिए हमने अपने फार्म में एक शूटिंग रेंज का इंतजाम करवाया था ताकि वह अभ्यास कर सके।
बिंद्रा के रिश्ते के भाई के.एस. नावला ने बताया कि उन्होंने उसे 12 से 14 घंटे तक अभ्यास करते हुए देखा है।
अभिनव के बचपन के दोस्त रंजीत बजाज के मुताबिक, "मैंने पिछले दो ओलंपिक में भी उसके लिए पदक की आस लगाई थी लेकिन इस बार अभिनव ने वहां जाते समय हमसे कहा था कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता है बाकी सबकुछ उसने भगवान पर छोड़ दिया था।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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