एक संस्था ने उठाया विदेशियों की नजर में भारत की तस्वीर बदलने का बीड़ा
चेन्नई, 4 जून (आईएएनएस)। अफ्रीकी मूल की अमेरिकी युवती जोसेफीन अगुलर को हमेशा इस बात का मलाल रहेगा कि चेन्नई में दो साल बिताने के बाद जब वह वापस जा रही है तो उसका एक भी भारतीय दोस्त नहीं है।
चेन्नई, 4 जून (आईएएनएस)। अफ्रीकी मूल की अमेरिकी युवती जोसेफीन अगुलर को हमेशा इस बात का मलाल रहेगा कि चेन्नई में दो साल बिताने के बाद जब वह वापस जा रही है तो उसका एक भी भारतीय दोस्त नहीं है।
अगुलर का कहना है, "मुझे बहुत अच्छे सहकर्मी और देखभाल करने वाले मिले लेकिन मैं एक दोस्त चाहती थी। कोई ऐसा जिसके साथ मैं इस शहर के बारे में बातें कर सकूं, बाजार अथवा फिल्म देखने जा सकूं।"
अगुलर जैसे ढेरों लोग हैं जो विभिन्न प्रयोजनों से भारत आते हैं लेकिन यहां के वातावरण में आसानी से घुलमिल नहीं पाते। ऐसे लोगों की समस्या का समाधान करने का बीड़ा उठाया है चेन्नई की एक संस्था ने जिसका नाम है ग्लोबल एडजस्टमेंट्स (जीए)।
जीए एक सांस्कृतिक समन्वय संस्थान है जो सामुदायिक क्लबों, ब्लाग और विभिन्न प्रकाशनों की सहायता से बाहरी लोगों को भारत के बारे में जानकारी देगा।
जीए की प्रमुख रंजिनी मनियन ने बताया, "विश्व व्यापार में भारत की बढ़ती साख की वजह से भारी संख्या में विदेशी नागरिक यहां आ रहे हैं लेकिन उनके मन में भारत की छवि अब भी 17वीं शताब्दी और उसके आसपास की कथाओं पर केंद्रित है।"
मनियन ने कहा कि भारतीय मूल के जो लोग यहां तीस-चालीस साल बाद वापस आते हैं उन्हें भी यहां दोबारा स्थापित होने में मदद की आवश्यकता पड़ती है।
आज विश्व की लगभग 75 कंपनियां अपने कर्मचारियों को भारत में स्थापित करने के लिए इस जीए की मदद लेती हैं। संस्था ने दिल्ली, कोलकाता, पुणे, बंगलौर और चेन्नई पांच शहरों में अपने कार्यालय बना रखे हैं।
एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा कंपनी के अधिकारी नीरज वढेरा जो 30 साल बाद भारत आए हैं, ने कहा कि यहां आने वालों को सुरक्षा, आधारभूत संरचनाओं और स्थानीय लोगों के साथ तालमेल की समस्या का सामना करना पड़ता है।
जाहिर सी बात है कि ऐसे लोगों के लिए जीए एक वरदान बन कर सामने आयी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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