महल छोड़ने के लिए ज्ञानेंद्र की नेपाल सरकार से वार्ता
काठमांडू, 2 जून (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने नारायणहिती महल से सुरक्षित निकासी के लिए आज सरकार से बातचीत शुरू की। निर्वाचित सरकार ने उन्हें 12 जून तक महल खाली करने का आदेश दिया है।
काठमांडू, 2 जून (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र ने नारायणहिती महल से सुरक्षित निकासी के लिए आज सरकार से बातचीत शुरू की। निर्वाचित सरकार ने उन्हें 12 जून तक महल खाली करने का आदेश दिया है।
गृहमंत्री कृष्ण प्रसाद सितौला की अगुवाई में वरिष्ठ अधिकारियों के एक दल ने महल में राजा से बातचीत की।
नेपाल को पिछले सप्ताह गणराज्य घोषित किये जाने और राजमहल सरकार के हवाले के करने का आदेश जारी होने के बाद यह पहला मौका है, जब ज्ञानेंद्र ने राजमहल छोड़ने के बारे में सरकारी अधिकारियों से चर्चा की।
पिछले 14 महीनों के दौरान, जब ज्ञानेंद्र ने प्रत्यक्ष रूप से देश पर राज किया, उन दिनों राजमहल सत्ता को केंद्र था और मंत्री केवल बुलावा मिलने पर ही वहां जाते थे।
हालांकि कुछ वरिष्ठ मंत्री प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला से अनुरोध कर रहे हैं कि वह बीती बाते भुलाकर उस संस्था के प्रति उदार रवैया अपनाए, जिसने नेपाल पर करीब 240 बरस तक राज किया।
शांति एवं पुनर्निर्माण मंत्री राम चंद्र पौडेल ने कोइराला से अनुरोध किया है कि राजपरिवार को जब तक उचित आवास नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें किसी अन्य महल में रहने की इजाजत दें। अपने भाई नरेश वीरेंद्र और उनके पुत्र की हत्या से पहले ज्ञानेंद्र युवराज थे और वह महल के करीब निर्मल निवास में रहते थे, लेकिन 2001 में राजा बनने के बाद वह नारायणहिती महल में आ गए और उनके पुत्र पारस निर्मल निवास में रहने लगे।
शनिवार को नरेश के प्रधान सचिव और विश्वासपात्र पशुपति महाराजन ने कोइराला से भेंट कर राजमहल खाली करने के लिए राजपरिवार को कुछ मोहलत दिए जाने का अनुरोध किया।
रविवार को पूर्व माओवादी छापामारों ने एक अन्य राजमहल के बाहर एक साईनबोर्ड लगा दिया है जिस पर लिखा था- यह संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य नेपाल की संपत्ति है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*