नेपाल के पूर्व सांसद ने ज्ञानेंद्र को सुनाई बंदरों की कहानी
काठमांडू, 2 जून (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र, जिन्हें दस दिनों के अंदर शाही महल खाली कर एक सामान्य नागरिक की तरह जीवन बिताने को कहा है, को नेपाल के एक पूर्व सांसद ने बंदरों की कहानी सुनाई है।
काठमांडू, 2 जून (आईएएनएस)। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र, जिन्हें दस दिनों के अंदर शाही महल खाली कर एक सामान्य नागरिक की तरह जीवन बिताने को कहा है, को नेपाल के एक पूर्व सांसद ने बंदरों की कहानी सुनाई है।
लामजुंग जिले से सांसद रह चुके रामचंद्र अधिकारी ने आज एक सार्वजनिक संदेश में पदच्युत राजा को बंदरों और टोपीवाले की कथा सुनाई।
कहानी के अनुसार एक टोपी विक्रेता अपनी टोपियां बेचता हुआ थक कर एक पेड़ के नीचे सो गया था। उसे सोता देख पेड़ पर मौजूद बंदरों ने सारी टोपियां निकाल लीं और उसकी नकल करते हुए टोपियां पहन कर पेड़ों पर जा बैठे।
जब वह जागा तो अपनी टोपियां वापस पाने के लिए एक युक्ति लगाई, उसने अपनी टोपी उतार कर फेंक दी। बंदरों ने भी नकल करते हुए अपनी टोपियां उतार कर फेंक दीं और वह उन्हें लेकर चलता बना।
सालों बाद जब उस टोपी वाले का बेटा उस राह से गुजरा तो उसके साथ भी यही घटना घटी। उसने भी अपने पिता की तरह टोपी उतार कर फेंकी लेकिन इस बार किसी बंदर ने अपनी टोपी नहीं फेंकी। तब उसे पता चला कि समय बदल चुका है और नई पीढ़ी पहले की तरह बेवकूफ नहीं है।
रामचंद्र उस घटना का जिक्र कर रहे थे जिसमें ज्ञानेंद्र ने सन 2005 में सेना के सहारे सत्ता हथियाने का प्रयास किया था।
गौरतलब है कि पूर्व में उनके पिता महेंद्र भी ऐसा प्रयास कर चुके थे। उनके द्वारा किए गए तख्तापलट से उभरा जन असंतोष 1990 में एक जनआंदोलन के रूप में सामने आया था, जिसके बाद महेंद्र के उत्तराधिकारी राजा वीरेंद्र ने जनता की इच्छा का सम्मान करते हुए कार्यकारी शक्तियां निर्वाचित सरकार को सौंप दी और वे केवल संवैधानिक राजा बने रहे।
पूर्व सांसद ने कहा कि बदलते समय में राजा की पदवी त्यागना कोई आपदा नहीं वरन एक सामान्य घटना है।
सन 2006 में एक अन्य लोकतंत्र समर्थक तख्तापलट में ज्ञानेंद्र को राजा की पदवी गंवानी पड़ी थी और इसी के साथ नेपाल की 239 साल पुरानी राजशाही का अंत हो गया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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