क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सर्वोच्च न्यायालय ने दिलाया प्रवासी भारतीय के बच्चों को न्याय

By Staff
Google Oneindia News

नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)। अगर यह जानना हो कि पुलिसवालों से टकराने पर किसी पैसेवाले का क्या अंजाम हो सकता है, तो अमेरिका रहने वाले एक भारतीय के पुत्र और पुत्री से पूछिए, जो न सिर्फ अदालतों में घसीटे गए, पीटे गए और उनमें से एक को गाजियाबाद के एक मेडीकल कॉलेज की परीक्षाओं में बार-बार फेल कर दिया गया।

नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)। अगर यह जानना हो कि पुलिसवालों से टकराने पर किसी पैसेवाले का क्या अंजाम हो सकता है, तो अमेरिका रहने वाले एक भारतीय के पुत्र और पुत्री से पूछिए, जो न सिर्फ अदालतों में घसीटे गए, पीटे गए और उनमें से एक को गाजियाबाद के एक मेडीकल कॉलेज की परीक्षाओं में बार-बार फेल कर दिया गया।

यहां तक कि उनके बचाव में व्हाइट हाउस की ओर से किए गए उपाय भी नाकामयाब रहे। एक प्रवासी भारतीय के दोनों बच्चों की मुसीबतों का खात्मा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपने संवैधानिक हथियारों के माध्यम से हस्तक्षेप किए जाने के बाद ही हो सका। सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 के माध्यम से दोनों छात्रों को संतोष मेडिकल कॉलेज के प्रशासन और पुलिस से राहत दिलायी।

18 पृष्ठों वाले फैसले में न्यायमूर्ति एस बी सिन्हा और न्यायमूर्ति लोकश्वर सिंह पंटा के फैसले से दोनों छात्रों के खिलाफ मुकदमेबाजी पर रोक लगाई जा सकी।

मनीष कुमार और मोनिका कुमार नाम के इन दोनों छात्रों के पिता नरेंद्र कुमार अमेरिका के कैलिफोर्निया में हैं। उन्होंने 1996 में मोटी रकम जमा करवाकर अपने बच्चों को गाजियाबाद के एक निजी कॉलेज में भरती कराया था इसके अलावा उन्होंने कॉलेज के ट्रस्ट के अध्यक्ष पी महालिंगम को 25 लाख रूपये कर्ज भी दिया था।

दोनों छात्रों का उत्पीड़न वर्ष 2000 में उस समय शुरू हुआ, जब उन्होंने कर्ज की रकम चुकाने की मांग करते हुए गाजियाबाद न्यायालय में अर्जी दाखिल की। उन दिनों छात्रों को एमएमबीएस की डिग्री मिलनेही वाली थी, लेकिन कालेज प्रशासन ने मोनिका को विभिन्न विषयों में तीन-तीन बार फेल कर दिया और डिग्री हासिल करने के लिये आयोजित होने वाली महत्वपूर्ण परीक्षा में भी हिस्सा लेने की उसे इजाजत नहीं दी।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर अदालत में विशेषज्ञों द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिकाओं के आकलन में 70 फीसदी अंक मिलने के बावजूद प्रशासन के रूख में कोई बदलाव नहीं आया। कॉलेज प्रशासन ने मोनिका को पास करने और उसकी परीक्षा लेने के उच्च न्यायालय के निर्देशों को भी मानने से इंकार कर दिया। वर्ष 2003 में गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के दखल देने पर कुमार को पांच-पांच लाख रूपये के बाद की तारीखों वाले चैक हासिल हो गए , लेकिन उनके बच्चों का उत्पीड़न बढ़ता ही गया।

महालिंगम ने कथित तौर पर विजय नगर पुलिस स्टेशन पर पूर्व थाना प्रभारी अनिल सोमानी से मोनिका और मनीश को बुरी तरह पिटवाया। इत्तफाक से सोमानी की पुत्री भी महालिंगम के मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी। महालिंगम ने दोनों छात्रों पर कम से कम तीन फ ौजदारी मुकदमें भी दर्ज करवा दिए , जिनकी वजह से उन्हें 15 दिनों तक जेल में रहना पड़ा और कई अदालतों की धूल फांकनी पड़ी। जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय उनके खिलाफ आपराधिक मामले खारिज नहीं कर सका तो उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई।

उधर,अपनेबच्चों के उत्पीड़न से तंग आकर कुमार ने अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश को गुहार लगाई जिस पर व्हाइट हाउस ने विदेश विभाग से इस मामले की थाह लेने और इसे राजनयिक तरीके से हल करने को कहा।

मामले की जांच के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 142 के तहत फैसला सुनाकर दोनों छात्रों को यातनाओं के इस दौर से मुक्ति दिलायी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।।

**

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X