राष्ट्रीय. भाप इंजन दुर्घटना चार अंतिम नयी दिल्ली..
ना चार अंतिम नयी दिल्ली.. रेल भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे के कुछ अधिकारी भाप इंजन के नाम पर जितनी बार बि्रटेन. अजेटीना. ब्राजील. स्विटजरलैंड और अमरीका की यात्रा कर रहे हैं. उतनी बार सिर्फ् रेवाडी शेड चले जाएं तो शेड का भला हो जाए1 वहां अधिकारी तभी जाते हैं जब उन्हें महाप्रबंधक या रेल मंत्री के साथ फ्ोटो खिंचवाना होता है1 उनका कहना है कि यदि रेवाडी शेड पर पर्याप्त ध्यान दिया जाता. तो आज ऐसी हालत नहीं होती
कुछ कर्मचारियों का कहना है कि भाप इंजन का महत्वपूर्ण हिस्सा ब्वायलर के अंदर का ट्यूब और भाप वाली पाइप होती है1 इसे देश में सिर्फ् एक ही कंपनी .महाराष्ट्र सीमलेस कंपनी. बनाती है1 यह फ्र्म रेलवे के साथ कारोबार ही नहीं करती1 कोई अन्य कंपनी इसे विदेशों से मंगा कर दे दे पर रेलवे का आर्डर ही इतना कम होता है कि कोई तैयार नहीं होता1 इस कारण पुराने घिसे पिटे पुर्जे को ही ठीक ठाक कर चलाया जा रहा है1 ऐसी हालत में दुर्घटना को कौन रोक सकता है
इस समय जो भाप इंजन चल रहे हैं. वे 1960 और 1970 के दशक के बने हैं1 ये इंजन इतने पुराने हो चुके हैं कि वे अपनी क्षमता से आधे भी वजन नहीं खींच पा रहे हैं1 तब भी उन्हें चलाया जा रहा है और उसकी क्षमता उतनी ही आंकी जा रही है. जितनी उसकी नंबर प्लेट पर लिखी है1 नंबर प्लेट पर तो बनाने के समय की क्षमता है पर वास्तविक में ऐसी बात नहीं है
रेलवे के एक अवकाश प्राप्त महाप्रबंधक का कहना है कि रेल भवन से हर साल कम से कम दस अधिकारी भाप इंजन के नाम पर विदेश जाते हैं1 पिछले महीने ही चार व्यक्ति लंदन गए थे1 इससे पहले अजेटीना में हुई स्टीम कांग्रेस में भाग लेने के लिए भी कुछ अधिकारी वहां गए थे1 अब अमरीका जाने की तैयारी है1 यदि इतने पैसे ही रेवाडी लोको शेड पर खर्च कर दिये जाते. तो ये दुर्घटनाएं नहीं होतीं
शिशिर सचिन रीता अजय जगबीर1456वार्ता