"बाहुबली को तो कटप्पा ने मार दिया था, फिर हम पार्टी में कहां से ले आए?"
जब आप पूछ रहे हैं तो हम आपको बता दें कि पूरे देश में मुख्तार ही ऐसा प्रत्याशी है, जो बाहुबली की मौत का बदला ले सकता है।
नई दिल्ली। मायावती ने अफजाल अंसारी के परिवार को तीन टिकट दे दिए हैं। अब जबसे ये टिकट फाइनल हुए हैं, मीडिया से लेकर आमजन तक मायावती पर सवाल कर रहै हैं कि आपने दागियों को टिकट दे दिए। इस मुश्किल से निकालने के लिए मायावती गईं अंसारी के घर और अपनी परेशानी बताई...
बहन जी- अंसारी भाई क्या बताऊं.. सब बदनाम करने पर लगे हुए हैं। सब पीछे पड़े हैं।
अंसारी- आपने ठीक कहा बहन जी, सब हमें बदनाम करने की कोशिश कर रहे है। ये पीछे कौन पड़ा है आपके?
बहन जी- ये मीडिया वाले आपकी छवि को लेकर शोर मचा रहे हैं। लोग सवाल करें तो करे.. लोगों की बात तो कौन सुनता है लेकिन ये टीवी, आखबार वाले तो ना मानेंगे...
अंसारी- आप बताइए ना क्या सवाल कर रहे हैं ये टीवी वाले..? फिर हम आपको बता देते हैं कि क्या जवाब देना है, टीवी वालों को...
बहन जी- वो कैसे?
अंसारी- आप भी अखिलेश बाबू और मोदी बाबा की तरह टीवी वालों को बनाना सीख लो। मान लीजिए कि आप टीवी रिपोर्टर हैं और मैं आप... मतलब बहन मायावती। अब आप सवाल कीजिए
मायावती- देख लो, मैं एकदम 'दिनेशन वांट्स टू नो' वाले जो हैं ना... उनके स्टाइल में सवाल करूंगी और आपको जवाब शांत रहकर देना पड़ेगा। तो अब में रिपोर्टर के रोल में हूं.. ठीक?
अंसारी- जी बिल्कुल... मैं सारे जवाब मुस्कुराते हुए दूंगा। आप देर मत करिए, सवाल शुरू करिए..
(बहन जी रिपोर्टर बन कर उन सवालों का जवाब अंसारी से लेने लगीं, जो उनसे पूछे जा रहे हैं।)
रिपोर्टर (बहनजी)- आज हमारे साथ हैं बसपा के प्रवक्ता और हम उनसे करेंगे तीखे सवाल.. सबसे पहले तो ये बताइए कि आपने बाहुबली को पार्टी में क्यों लिया।
अंसारी- बाहुबली... ? हा हा हा..... आप भी धोखा खा गए.. अरे वो तो शिवा है.. आप बाहुबली समझ बैठे... बाहुबली को तो कट्प्पा ने मार दिया था।
रिपोर्टर- अरे हम, उस बाहुबली की बात नहीं कर रहे, हम बात कर रहे हैं मऊ के बाहुबली की...
अंसारी- आप भी ना... सारा देश इस बाहुबली की मौत से परेशान है कि कटप्पा ने उसको क्यों मारा.. ? और आप हैं कि किन बातों में उलझे हुए हैं। वैसे रिपोर्टर साब कान करीब लाइए... मैंने सुना है कि बाहुबली ने कट्प्पा का टिकट काट दिया था, इसीलिए उसने....
रिपोर्टर- आप, साफ-साफ ये बताइए कि मुख्तार और परिवार को टिकट देने की क्या वजह है?
अंसारी- खैर.. जब आप पूछ रहे हैं तो हम आपको बता दें कि पूरे देश में मुख्तार ही ऐसा प्रत्याशी है, जो बाहुबली की मौत का बदला ले सकता है। बस इसीलिए.. क्या आप नहीं चाहते कि भल्लाल देव का अंत हो..?
रिपोर्टर- देखिए, मेरे सवालों का जवाब दीजिए... प्रदेश जानना चाहता .. दिनेशन नो दि स्टेट वांट्स टू.. अरे छोड़ो ये दिनेशन-विनेशन... आप बतइए कि आपने आखिर दागी छवि के लोगों को टिकट क्यों दिया? क्यों दिया?
अंसारी- देखिए... जनता जनार्दन होती है.. आप मऊ, मोहम्मादाबाद छोड़िए.. पूरे गाजीपुर से एक इंसान से कहलवा दीजिए कि अंसारी की छवि खराब है.. हम टिकट काट देंगे। ये हवा-हवाई बातें नहीं करो...
रिपोर्टर- कई और लोग इस क्षेत्र से लाइन में थे लेकिन आपने टिकट बांट दिए अंसारी परिवार को... क्यों? प्रदेश जानना चाहता है..
अंसारी- देखिए.. प्रदेश जानना चाहता है, ये हमें पता है। बार-बार आपके कहने से कुछ ज्यादा नहीं जानने लगेगा.. जहां तक बात है लाइन की..? तो अंसारी भी लाइन में था.. ये अलग बात है कि जहां वो खड़ा था, लाइन वहीं से शुरू हुई...
रिपोर्टर- एक ऐसे शख्स को जिस पर कई मुकदमें हैं, आपने मसीहा कहा... कोई जवाब है आपके पास?
अंसारी- हां जवाब है.. लेकिन उससे पहले कुछ सवाल हैं। राहुल गांधी युवा नेता हैं, आपने सवाल क्यों नहीं किया... मोदी जी युवा पीएम, आपने सवाल नहीं किया... अखिलेश यादव विकास पुरुष, आपने सवाल नहीं किया... सलमान 25 साल का लड़का बनकर फिल्मों में आता है, आपने सवाल नहीं किया... और क्या-क्या गिनाऊं आपको?? मैंने एक बात कह दी तो जुबान पकड़ ली मेरी..
रिपोर्टर- लेकिन क्या आपका अपराधमुक्त प्रदेश का नारा इससे पूरा होगा..
अंसारी- वही तो कर रहे हैं हम.. सबको राजनीति में लगा देंगे और अपराध के लिए कोई नहीं बचेगा...
रिपोर्टर- लेकिन जनता के सवाल हैं... प्रदेश तो जानना चाहता है??
अंसारी- रिपोर्टर साब... तनिक सुनो... प्रदेश क्या जानना चाहता है पता नहीं लेकिन 'अंदर' से फोन आ गया ना तुम्हारे पास तो कुछ जानने लायक नहीं रहोगे.. तो थोड़ा कम किरानतिकारी बनो बाबू.... चलो कट लो यहां से...
बहन जी- वाह जी वाह... बहुत बढ़िया अंसारी जी...
अंसारी-
तो
अब
आप
ऐसे
ही
लपेटना
प्रेस
वालों
को
बहन
जी...
बहन
जी-
अच्छा,
तो
अब
मैं
चलती
हूं,
देखती
हूं
कौन
कहता
है
कि
तुम
ऐसे-वैसे
लोगों
को
पार्टी
में
ले
लिए
हो....
(यह एक व्यंग्य लेख है)
ये भी पढ़ें- तिवारी जी, मार्गदर्शक मंडल का दड़बा छोटा सा है, आप उसमें ना आएंगे