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हर कोई आपके वश में होगा, अगर करेंगे ये उपाय

त्राटक का लाभ केवल एकाग्रता बढ़ाने में ही नहीं मिलता बल्कि इससे मनुष्य के नेत्रों में सम्मोहन या कहें आकर्षण शक्ति भी बढ़ती है।

By पं. गजेंद्र शर्मा
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नई दिल्ली। प्रतियोगिता के इस दौर में सफल होने के लिए मानसिक सुकून और कार्य में मन लगना जरूरी है। कई लोगों की यह शिकायत रहती है कि उनका किसी काम में मन नहीं लग पाता। ध्यान भटकता है इसलिए वे सफल नहीं हो पाते। काम में मन नहीं लगना और ध्यान भटकने का कारण है एकाग्रता की कमी। यदि आप एकाग्र होकर कोई काम नहीं करते चाहे वह पढ़ाई हो, जॉब हो, परिवार पर ध्यान देने की बात हो तो आप किसी में सफल नहीं हो सकते।

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मन-मस्तिष्क को एकाग्र करने के लिए भारतीय योग-दर्शन में मेडिटेशन यानी ध्यान का महत्व बताया गया है, लेकिन हठयोग में त्राटक का महत्व बताया है। त्राटक का अर्थ है किसी वस्तु पर मन और मस्तिष्क को एकाग्र करना। त्राटक का लाभ केवल एकाग्रता बढ़ाने में ही नहीं मिलता बल्कि इससे मनुष्य के नेत्रों में सम्मोहन या कहें आकर्षण शक्ति भी बढ़ती है। वह जिसे चाहे उसे अपने आकर्षण प्रभाव में बांध सकता है।

छह कर्मों में शामिल किया गया

छह कर्मों में शामिल किया गया

हठयोग प्रदीपिका में त्राटक को योग के छह कर्मों में शामिल किया गया है। ये कर्म हैं वस्ति, द्योति, नौलि, नेति, कपालभाति और त्राटक। इन षटकर्मों में त्राटक को सर्वोपरि इसलिए रखा गया है क्योंकि इससे दृष्टि स्थिर होती है और मस्तिष्क विचारशून्य हो जाता है जिससे उसकी क्षमता में वृद्धि होती है। त्राटक को सम्मोहन की प्रारंभिक क्रिया भी कहा जाता है, क्योंकि सम्मोहन के सबसे पहले त्राटक की ही प्रैक्टिस की जाती है।

त्राटक के लाभ

त्राटक के लाभ

  • नेत्रों में चुंबकीय शक्ति पैदा होती है।
  • नेत्र रोग दूर होते हैं।
  • नेत्रों में आकर्षण शक्ति बढ़ने से लोग आपसे वशीभूत रहते हैं।
  • आलस्य दूर होता है। मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
  • मन और मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ती है।
  • निकट त्राटक

    निकट त्राटक

    इसके लिए किसी शांत कमरे या शांत वातावरण में सुखासन में बैठें। नेत्रों को दाएं-बाएं, उपर-नीचे चलाकर आंखों का हल्का व्यायाम करें। त्राटक के लिए सबसे अच्छा समय प्रातः 4 बजे से सूर्योदय तक होता है। अब सुखासन में बैठकर अपने सामने दो फुट की दूरी पर स्फटिक का शिवलिंग या सफेद पत्थर का गोल टुकड़ा रखकर उस पर ध्यान केंद्रित करें। एकटक उसे देखें। जितनी देर हो सकते पलक न झपकाएं। प्रारंभ में परेशानी होती लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास हो जाएगा। आंसू निकलने लगे तो आंखें बंद कर लें। कुछ समय बाद दोबारा ऐसा ही करें। कुछ दिनों तक ऐसा करते रहें इससे अभ्यास होने लगेगा। फिर समय बढ़ाते जाएं। शिवलिंग पर दृष्टि स्थिर होने के बाद मोमबत्ती की लौ से अभ्यास करें। जब लौ पर दृष्टि स्थिर हो जाए तो अपनी नाक पर दृष्टि जमाएं। इसके बाद दोनों भौंहों के बीच में दृष्टि स्थिर करें। इस प्रयास में कई महीने का समय भी लग सकता है। इससे साधक को दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है।

    दूर त्राटक

    दूर त्राटक

    जब निकट त्राटक का अच्छे से अभ्यास हो जाए तो साधक किसी पहाड़ की चोटी, मंदिर का गुंबद या पेड़ की टहनी पर दृष्टि जमाने का अभ्यास करे। इस चीजों पर दृष्टि स्थिर हो जाए तो चंद्रमा पर दृष्टि जमाने का अभ्यास करे। इसके बाद तारे और फिर सूर्य पर दृष्टि जमाने क प्रयास करे। प्रारंभ में सूर्य पर दृष्टि जमाना कठिन होता है इसलिए पानी में सूर्य के प्रतिबिंब पर दृष्टि जमाए। उसके बाद दर्पण पर सूर्य के प्रतिबिंब पर और फिर सूर्य पर। इस तरह जब 32 मिनट से अधिक दृष्टि स्थिर हो जाए तो व्यक्ति दूर त्राटक में माहिर जो जाता है।

    अंतर त्राटक

    अंतर त्राटक

    उपरोक्त दोनों त्राटक बाह्य पदार्थों पर त्राटक है। अंतर त्राटक में साधक को आंखें बंद कर अपने मनोबल पर ध्यान लगाना पड़ता है। इसके लिए साधक आंखें बंद कर भौहों के बीच में ध्यान लगाए। अभ्यास के बाद धीरे-धीरे साधक को आंखें बंद करने पर तीन, पांच सा सात बिंदु दिखाई देंगे। जो सफेद, नीले, पीले रंग के हो सकते हैं। कुछ समय बाद ये बिंदु दिखाई नहीं देंगे और ज्योति से जगमग नेत्र दिखाई देगा। प्रारंभ में यह नेत्र हिलता हुआ नजर आएगा। इसके बाद सूर्य, चंद्र, तारे आदि दिखने का अनुभव होगा। इसके बाद आकाश के मध्य तीसरा नेत्र दिखाई देगा। यही पूर्ण अवस्था है।

    ये सावधानियां जरूरी

    ये सावधानियां जरूरी

    • सर्वप्रथम त्राटक की क्रिया किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करें। सिर्फ पढ़कर या अपने मन से कुछ न करें।
    • त्राटक का अभ्यास करने वाला व्यक्ति प्रत्येक प्रकार ने नशे से दूर रहे।
    • सुजाक रोग, हृदय रोग, टीबी या कुष्ठ हो वह वयक्ति त्राटक न करे।
    • जिसकी आंखें कमजोर हो वह त्राटक अपने गुरु की सलाह से ही करे।
    • त्राटक का अभ्यास कर रहा व्यक्ति न तो अधिक भूखा रहे और न ठूंस ठूंसकर खाना खाए। हल्का सात्विक भोजन ग्रहण करें।

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English summary
Our Vashikaran expert who is expert in the field of Vashikaran Astrology. The Astrology provides different but yet powerful ideas to resolve your major problems that is within the short time.
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