जानिए.. पेरिडॉट को क्यों कहा जाता है मनी स्टोन
नई दिल्ली। रत्न शास्त्र में नौ ग्रहों के नौ मुख्य रत्न और उनके सैकड़ों उपरत्न बताए गए हैं। कई बार जो काम मुख्य रत्न नहीं कर पाते वे उनके उपरत्न कर देते हैं। ऐसा ही एक उपरत्न है पेरिडॉट। यह वैसे तो बुध के रत्न पन्ने का उपरत्न है, लेकिन उपरत्न होते हुए भी पेरिडॉट स्वतंत्र रूप से अपना अद्भुत प्रभाव धारण करने वाले पर डालता है। इस स्टोन का दूसरा नाम मनी स्टोन भी है। जी हां, पेरिडॉट में पैसा खींचने की जबर्दस्त शक्ति होती है इसलिए इसका नाम मनी स्टोन रखा गया है। माना जाता है कि जो व्यक्ति पेरिडॉट की अंगूठी या पेंडेंट पहनता है वह शीघ्र ही अमीर बन जाता है। उसके पास पैसा आने के अनेक स्रोत बन जाते हैं। चारों ओर से उसके पास पैसा आ जाता है। यह पारदर्शी हरे रंग का चमकदार स्टोन होता है जो दिखने में बेहद चिकना और खूबसूरत होता है। इसमें से होकर गुजरने वाली सूर्य की किरणें यदि किसी सफेद सतह पर डाली जाए तो हरे रंग की आभा बिखरती है। सुख-समृद्धि और धन संपदा खींचने में यह स्टोन कमाल का प्रभाव दिखाता है।
पेरिडॉट पहनने के लाभ
- पेरिडॉट पहनने से मानसिक शांति प्राप्त होती है। दिमाग की एकाग्रता बढ़ती है। व्यक्ति अपने लक्ष्य पर फोकस कर पाता है।
-
पेरिडॉट
धारण
करने
से
व्यक्ति
मनी
माइंडेड
बनता
है।
उसके
दिमाग
में
अपने
अर्थव्यवस्था
को
लेकर
गहन
चिंतन
विकसित
होता
है,
जिससे
वह
आर्थिक
संपन्नता
के
रास्ते
पर
बढ़ता
है।
-
पेरिडॉट
पहनने
वाले
जातक
के
आभामंडल
यानी
औरा
के
दोष
समाप्त
होते
हैं,
जिससे
दूसरे
लोग
उससे
प्रभावित
होते
हैं
और
उसका
मान-सम्मान
करते
हैं।
-
पेरिडॉट
व्यक्तित्व
में
आकर्षण
पैदा
करता
है।
ऐसा
व्यक्ति
कई
लोगों
का
चहेता
बन
जाता
है।
शरीर में मौजूद चक्रों को शुद्ध करता है पेरिडॉट
- पेरिडॉट शरीर में मौजूद चक्रों को शुद्ध करने का काम करता है। खासकर सोलर प्लेक्सस चक्र की शुद्धि होती है।
-
यह
शरीर
के
स्नायुतंत्र
और
मस्तिष्क
से
जुड़े
रोगों
को
दूर
करता
है।
-
पेरिडॉट
भाग्योदय
करने
में
सहायक
है।
पहनने
वाले
को
गुड
लक
देता
है।
-
इस
स्टोन
की
सबसे
अच्छी
बात
है
कि
इसे
कोई
भी
जातक
धारण
कर
सकता
है।
क्या सावधानियां रखें
- पेरिडॉट कभी भी पांच कैरेट से कम का धारण ना करें।
-
पेरिडॉट
को
चांदी
और
सोने
में
धारण
किया
जा
सकता
है।
-
यह
स्टोन
दोष
रहित
होना
जरूरी
है।
स्टोन
को
सूर्य
की
रोशनी
में
देखने
में
इसमें
कोई
दोष
दिखाई
ना
दें।
यह
एकदम
पारदर्शी,
साफ
और
चिकना
होना
चाहिए।
-
इसमें
किसी
प्रकार
का
बबल,
क्रेक,
स्क्रैच
आदि
ना
हो।
-
इसे
सीधे
हाथ
की
अनामिका
या
कनिष्ठिका
अंगुली
में
धारण
किया
जा
सकता
है।
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