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Motivational Story: सौम्य व्यवहार होता है सर्वाधिक आकर्षक

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे आम और महत्वपूर्ण चीज होती है हमारा व्यवहार। व्यवहार एक ऐसी कला है, जो पल भर में किसी को शत्रु, तो किसी को मित्र बना सकती है। दुनिया में मनुष्य का व्यवहार ही वह चीज है, जो किसी का भी दिल जीतने की क्षमता रखती है।

Motivational Story: सौम्य व्यवहार होता है सर्वाधिक आकर्षक

दुनिया भर के महंगे पहनावे, सुंदरता, अमीरी या प्रभुत्व, सब कुछ एक सौम्य व्यवहार के आगे तुच्छ पड़ जाते हैं। सौम्यता का सीधा-सा अर्थ है सरल, मधुर और मीठा व्यवहार, जो मनुष्य तो क्या, जंगली जानवरों को भी पल भर में अपने वश में कर लेता है। सौम्यता का प्रभाव समझना हो, तो रामायण से बेहतर उदाहरण नहीं मिलेगा, जिसमें महारानी सुमित्रा का सौम्य व्यवहार बरबस ही सबका दिल जीत लेता है।

आज इसी संदर्भ में रामायण से महारानी सुमित्रा का ही एक प्रसंग लेते हैं-

रामायण की कथा तो सर्वविदित है कि अयोध्या के महाराज दशरथ शूरवीर थे। उनके पराक्रम के मनुष्य तो क्या, देव भी प्रशंसक थे। कई अवसरों पर उन्होंने असुरों को पराजित करने में देवों की सहायता भी की थी। महाराज दशरथ की तीन रानियां थीं- कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। इनमें से कौशल्या पटरानी अर्थात सबसे बड़ी रानी थीं। वे समझदार, न्यायप्रिय, धीर-गंभीर और पति परायण थीं। सुमित्रा द्वितीय रानी थीं, जिनकी सौम्यता मनमोहक थी। सबसे छोटी रानी थीं कैकेयी, जो अपनी सुंदरता, वीरता और बुद्धिमत्ता के कारण महाराज की सर्वाधिक प्रिय थीं। राजा दशरथ की आयु अधिक हो चली थी, किंतु तीन रानियां होने के बाद भी उनकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण राजा दशरथ चिंतित रहने लगे थे। महाराज की चिंता को देखते हुए राजपुरोहित ने उन्हें एक महायज्ञ करवाने का सुझाव दिया। महाराज ने पूरे विधि-विधान से यह महायज्ञ संपन्न किया। यज्ञ की आहूति संपन्न होते ही अग्नि के मध्य एक देव प्रकट हुए। दिव्य पुरुष ने महाराज को एक कटोरा खीर देते हुए कहा कि यह प्रसाद अपनी तीनों रानियों को अपने हाथों से खिलाएं। आप शीघ्र ही संुदर, स्वस्थ संतानों के पिता बनेंगे।

धीर, गंभीर, समझदार थे प्रभु राम

उस दिव्य पुरुष की बात सुनकर महाराज दशरथ का मन खिल गया। वे तुरंत खीर का कटोरा लेकर राजभवन पहुंचे। महल पहुंचकर उन्होंने विचार किया कि सबसे पहले बड़ी रानी कौशल्या को प्रसाद देेता हूं। उनके जैसी धीर, गंभीर, समझदार संतान किसी भी राज्य के लिए वरदान होगी। ऐसा विचार कर उन्होंने महारानी कौशल्या को खीर का एक हिस्सा अपने हाथों से खिलाया। इसके बाद वे सुमित्रा के पास गए और उन्हें भी खीर का एक हिस्सा खिलाया। सुमित्रा के महल से निकलकर वे कैकेयी के महल की ओर बढ़े, तभी उनके मन में विचार आया कि कैकेयी की सुंदरता, वीरता अद्भुत है, परंतु उनमें चंचलता भी अधिक है। सुमित्रा का व्यवहार बहुत ही मधुर है, वे समझदार भी हैं। क्यों ना उन्हें खीर का एक हिस्सा और खिला दूं। ऐसा सोचकर महाराज वापस सुमित्रा के पास पहुंचे और उन्हें एक भाग प्रसाद और खिलाया। इसके बाद वे छोटी रानी कैकेयी के पास पहुंचे और बचा हुआ प्रसाद उन्हें खिलाया। प्रसाद खिलाने के ठीक नौ महीने बाद कौशल्या ने श्री राम, सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न और कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। चारों ही बालक अपनी माताओं के व्यवहार के अनुरूप ही निकले।

यह कथा व्यवहार का प्रभाव दिखाती है

आगे की कथा से सभी परिचित हैं। यहां तक कि कथा व्यवहार का प्रभाव दिखाती है और यह भी समझाती है कि सौम्य व्यवहार किस तरह सर्वप्रिय होता है। आखिर अपने सौम्य व्यवहार के कारण ही सुमित्रा दो भाग खीर पाने की अधिकारी हुईं और दो संतानों की माता बनीं, जो उनकी तरह ही मधुर व्यवहार और आचरण कर जीवन पर्यंत सबके प्रिय बने रहे।

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English summary
Gentleness is a personal quality which can be part of one's character. It consists in kindness, consideration and amiability. Being gentle has a long history in many, but not all cultures.
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