सफलता के लिए करें मां सरस्वती का पूजन, हर मुश्किल हो जाएगी आसान
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नई दिल्ली। मां सरस्वती के आशीर्वाद बिना इंसान ना तो विद्या हासिल कर सकता है और ना ही सफलता की सीढ़ी चढ़ सकता है। जो इनकी सच्चे मन से पूजा करता है वो ही प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता है, ये ज्ञान और कला की देवी बहुत ही मोहक हैं। ये सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा की मानसपुत्री हैं। ये शुक्लवर्ण, श्वेत वस्त्रधारिणी, वीणावादनतत्परा तथा श्वेतपद्मासना कही गई हैं। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। सरस्वती को साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है। शिक्षा संस्थाओं में वसंत पंचमी को सरस्वती का जन्म दिन समारोह पूर्वक मनाया जाता है।
कैसे करें सरस्वती पूजा
सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं। इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए।
श्वेत वस्त्र पहनाएं
इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं, सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं।
पीले रंग का फल चढ़ाएं
सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं और फिर मीठा अर्पित करें और इसके बाद सरस्वती वंदना करें और मन से मां का ध्यान करें, सच्चे मन से की गई प्रार्थना मां हमेशा स्वीकार करती हैं।
सरस्वती वंदना
या
कुन्देन्दुतुषारहारधवला
या
शुभ्रवस्त्रावृता
या
वीणावरदण्डमण्डितकरा
या
श्वेतपद्मासना।
या
ब्रह्माच्युत
शंकरप्रभृतिभिर्देवैः
सदा
वन्दिता
सा
मां
पातु
सरस्वती
भगवती
निःशेषजाड्यापहा
॥1॥
शुक्लां
ब्रह्मविचार
सार
परमामाद्यां
जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां
जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते
स्फटिकमालिकां
विदधतीं
पद्मासने
संस्थिताम्
वन्दे
तां
परमेश्वरीं
भगवतीं
बुद्धिप्रदां
शारदाम्॥
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