क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

शुक्र हुआ अस्त, नहीं होंगे अब कोई शुभ काम, जानिए क्यों?

By Pt. Gajendra Sharma
Google Oneindia News

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य को शुभ ग्रहों की साक्षी में करने की परंपरा रही है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अभीष्ट कार्य बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न् हो जाए और भविष्य में उसका सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो। शुभ कार्यों के लिए गुरु और शुक्र की स्थिति देखी जाती है। किसी भी शुभ कार्य के लिए इन दोनों ग्रहों का उदित अवस्था में होना आवश्यक है। यदि ये दोनों ग्रह अस्त रहते हैं तो शुभ कार्य संपन्न् नहीं किए जाते हैं। खासकर विवाह, मुंडन, सगाई, गृहारंभ, गृह प्रवेश जैसे कार्यों में गुरु और शुक्र का उदित होना आवश्यक है।

शुक्र अस्त

शुक्र अस्त

21 जुलाई 2019 रविवार को प्रात: शुक्र अस्त हो गया इसे शुक्र का तारा अस्त होना भी कहते हैं। शुक्र 25 सितंबर 2019 बुधवार तक अस्त रहेगा, इसके बाद उदय हो जाएगा। इन दो माह की अवधि में कोई भी शुभ कार्य संपन्न् नहीं किया जाएगा। हालांकि वर्तमान में देव शयनकाल भी चल रहा है, ऐसे में पहले से ही शुभ कार्यों पर प्रतिबंध है, लेकिन देवशयन में भी लोग सगाई, गृह निर्माण प्रारंभ, व्रतों के उद्यापन जैसे कुछ कार्य कर लेते हैं, लेकिन शुक्र का तारा अस्त होने के कारण सगाई भी नहीं की करना चाहिए।

यह पढ़ें: Hariyali Teej 2019: हरियाली तीज 3 अगस्त को, जानिए इसका महत्वयह पढ़ें: Hariyali Teej 2019: हरियाली तीज 3 अगस्त को, जानिए इसका महत्व

क्या होता है ग्रहों का अस्त होना

क्या होता है ग्रहों का अस्त होना

ग्रहों का अस्त होना वास्तव में सूर्य से उनकी दूरी पर निर्भर करता है। सौर मंडल में सूर्य सबसे चमकदार ग्रह है और ग्रहों का राज भी है। जब कोई ग्रह अपने परिवृत्त पथ पर गमन करते हुए सूर्य के निकट पहुंच जाता है तो वह अपनी आभा खो देता है और आकशमंडल में दिखाई नहीं देता है। इसे ही ग्रह का अस्त होना कहते हैं। बाकी ग्रह समय-समय पर परिभ्रमण के दौरान अस्त होते रहते हैं। इनमें भी केवल गुरु और शुक्र का अस्त होना मायने रखता है। बाकी ग्रहों के अस्त होने को उतनी अधिक मान्यता नहीं है। क्योंकि इन दोनों ग्रहों का संबंध सनातन धर्म में शुभ कार्यों से जोड़ा गया है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुक्र जब सूर्य से 9 अंश या इससे अधिक समीप आ जाता है तो अस्त हो जाता है, लेकिन यदि शुक्र वक्री चल रहा है तो वह सूर्य से 7 अंश या इससे अधिक समीप आने पर अस्त हो जाता है।

क्या होगा शुक्र अस्त का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब किसी जातक की जन्मकुंडली बनाई जाती है तो उसमें जन्म के समय भी ग्रहों के अस्त होने की स्थिति देखी जाती है। किसी स्त्री की जन्मकुंडली में जब शुक्र अस्त होता है तो उन्हें गर्भाशय के रोग, नेत्र रोग, किडनी रोग होने की आशंका रहती है। अस्त शुक्र जब राहु-केतु के प्रभाव में आता है तो जातक के मान-सम्मान में कमी आ जाती है। जन्म कुंडली में छठा भाव रोग भाव होता है। अस्त शुक्र यदि छठे भाव के स्वामी ग्रह के साथ बैठ जाए तो नाभि के नीचे के अंगों के रोग होने की आशंका रहती है।

सभी राशियों पर होगा प्रभाव

सभी राशियों पर होगा प्रभाव

21 जुलाई से 25 सितंबर तक अस्त हो रहे शुक्र के कारण सभी राशि के जातकों का निजी जीवन प्रभावित होगा। पति-पत्नी का आपसी विवाद बढ़ेगा। दांपत्य जीवन प्रभावित होगा। प्रेम संबंधों में असफलता मिलेगी। प्रेमी या प्रेमिका से दूरी हो सकती है। भौतिक सुख सुविधाओं, मान-सम्मान में कमी होगी।

क्या उपाय करें

अस्त शुक्र के दौरान आपके जो भी आराध्य देव हों उनकी नियमित आराधना करें। जिन लोगों ने किसी गुरु से दीक्षा ले रखी है वे गुरु मंत्र का जाप करें। शिवलिंग पर प्रतिदिन जल अर्पित करें। प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को गाय के कच्चे दूध से शिवजी का अभिषेक करें।

यह पढ़ें: Kundali: जानिए कुंडली में शनि-मंगल के योग का प्रभाव?यह पढ़ें: Kundali: जानिए कुंडली में शनि-मंगल के योग का प्रभाव?

Comments
English summary
Shukra Ast is an important activity in Hindu shastra. It is recommended that we should not arrange marriage, janau, mudan ceremony or any other auspicious ceremony during this time.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X