रवि वलय : अपयश, अपमान का कारण बनता है
Read Everything about Sun Ring: हस्तरेखा शास्त्र में वलय को शुभ नहीं माना जाता है। वलय किसी न किसी पर्वत को घेरते हुए ही बनता है। यह जिस ग्रह के पर्वत को घेरते हुए बनता है उससे संबंधित बुरे प्रभाव व्यक्ति के जीवन में देखने को मिलते हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं रवि वलय की। जैसा किनाम से ज्ञात है रवि वलय सूर्य पर्वत को घेरते हुए बनता है। सूर्य पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, सरकारी सेवा क्षेत्र, पिता आदि का कारक होता है। रवि वलय होने पर इनसे संबंधित शुभ फलों में कमी देखी जाती है।
कैसे बनता है रवि वलय
यदि कोई रेखा मध्यमा और अनामिका अंगुली के मध्य से निकलकर सूर्य पर्वत को घेरती हुई अनामिका और कनिष्ठिका के मध्य में जाकर समाप्त होती हो तो यह रवि वलय का निर्माण करती है। इसे रवि मुद्रा भी कहा जाता है।
रवि वलय का फल
- जिस व्यक्ति के हाथ में रवि मुद्रा होती है उसका जीवन बहुत सामान्य स्तर का होता है।
- ऐसे व्यक्ति को बार-बार असफलताओं का सामना करना पड़ता है।
- बहुत ज्यादा परिश्रम करने पर भी ऐसे व्यक्ति को किसी प्रकार का यश नहीं मिलता।
- रवि वलय वाला व्यक्ति ईमानदार, उदार, चरित्रवान होता है, फिर भी इसे अपयश मिलता है।
- यह व्यक्ति दूसरों की भलाई और सहयोग करता है, फिर भी इसे सम्मान नहीं मिलता।
- रवि वलय होने पर सूर्य पर्वत के सारे शुभ प्रभाव विपरीत हो जाते हैं।
- सामाजिक जीवन में ऐसे जातक को कई बार असम्मानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
- रवि वलय बनाने वाली रेखा कहीं से टूटी हुई है तो इसके अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
- रवि वलय के भीतर सूर्य पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह हो तो जातक भयंकर मानसिक पीड़ा से गुजरता है।
- रवि वलय बनाने वाली रेखाएं जंजीरदार हो तो जातक को जेल की यात्रा करनी पड़ती है।
रवि वलय के दुष्प्रभाव कैसे टालें
- नियमित रूप से ठीक सूर्योदय के समय सूर्य को जल का अर्घ्य अर्पित करें।
- आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
- लाल चंदन का टीका मस्तक पर लगाएं।
- लाल धागे में बांधकर तांबे का सूर्य का पेंडेंट गले में पहनें।
- पिता, ससुर और पिता समान व्यक्तियों की सेवा करें।
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