क्या हैं सर्प और माला योग, क्या होता है इनका जीवन पर प्रभाव?
Read everything about Sarp and Mala Yog: वैदिक ज्योतिष के हजारों योगों में से सर्प और माला योग भी अत्यंत चर्चित योग हैं। ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत ग्रह स्थितियां होने पर बनते हैं। इनका प्रभाव भी बिलकुल विपरीत होता है। सर्प योग जहां जातक का जीवन कष्टमय कर देता है, वहीं माला योग हो तो व्यक्ति अतुलनीय धन संपदा और सुखों का स्वामी बनता है। ये दोनों योग दलयोग कहलाते हैं। आइए जानते हैं ये दोनो योग बनते कैसे हैं और इनका प्रभाव क्या होता है।
केंद्रत्रयगै:
पापै:
शुभैर्दलाख्यावहिश्च
माला
च
।
सर्पेतिदु:खितानां
मालायां
जन्म
सुखिनां
च
।।
सर्प योग : जन्मकुंडली के केंद्र स्थान अर्थात् 1, 4, 7, 10 में से किसी भी तीन केंद्र स्थानों में तीनों पाप ग्रह सूर्य, मंगल, शनि हो तो सर्प योग का निर्माण होता है। जिस जातक की कुंडली में सर्प योग होता है वह हमेशा दुखी रहता है। वह जो भी कार्य करता है कभी सीधा होता नहीं है। उसे अत्यंत मुश्किलें आती हैं, परेशानियां आती हैं। उसे जीवन में अनेक टेढ़े-मेढ़े रास्तों अर्थात् परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। वह जिस काम में हाथ डालता है, उसमें नुकसान पहले होता है। आर्थिक स्थिति भी हमेशा डांवाडोल रहती है।
शुभ ग्रह बुध, गुरु, शुक्र हो तो माला योग का निर्माण होता है
माला योग : सर्प योग के विपरीत यदि जातक की जन्मकुंडली के केंद्र स्थानों 1, 4, 7, 10 में से किन्हीं भी तीन केंद्र स्थानों में तीनों शुभ ग्रह बुध, गुरु, शुक्र हो तो माला योग का निर्माण होता है। जिस जातक की कुंडली में माला योग होता है उसका जीवन सुखमय होता है। साधारण परिस्थितियों में जन्म लेकर भी जातक समस्त सुख प्राप्त करता है। उच्च पदों पर पहुंचता है। इसे जीवन में सहयोगी अधिक मिलते हैं। जो भी काम हाथ में लेता है उसे पूरा करके ही दम लेता है। इसका पूर्ण जीवन सुखमय रहता है।
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