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बीमारियों से मुक्ति और लंबी आयु के लिए करें रथ सप्तमी का व्रत

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। 12 फरवरी को रथ सप्तमी- एक प्राचीन कहावत है पहला सुख निरोगी काया। यह बिलकुल सच है। आजकल की अव्यवस्थित लाइफस्टाइल में यह कहावत और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि आप स्वस्थ हैं तो जीवन के दूसरे कार्य आसानी से हो जाते हैं। सफलता का राज भी निरोगी शरीर में ही छुपा हुआ है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वस्थ रहना पहली आवश्यकता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रत्येक समस्या का समाधान वैदिक और वैज्ञानिक पद्धति के जरिए बताया गया है। इनमें व्रत के सबसे ज्यादा लाभ बताए गए हैं। लेकिन आजकल की पीढ़ी व्रत को केवल एक धार्मिक कृत्य मानकर नकार देती है। जबकि सच तो यह है कि भारतीय व्रतों पर विदेशों में बड़े पैमाने पर शोध हो रहे हैं और उनके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी भी कहते हैं

रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी भी कहते हैं

हम बात करते हैं आयु और आरोग्य की। भगवान सूर्यदेव को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है रथ सप्तमी व्रत। इसे आरोग्य सप्तमी और अचला सप्तमी भी कहा जाता है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन आने वाले इस व्रत को करने से जातक को शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है और लंबी आयु प्राप्त होती है। इसलिए यदि आप भी रोगों से छुटकारा और आयु पाना चाहते हैं तो 12 फरवरी को आ रहे रथ सप्तमी व्रत को कर सकते हैं।

कैसे करें रथ सप्तमी व्रत

कैसे करें रथ सप्तमी व्रत

रथ सप्तमी व्रत करने के लिए व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होना पड़ता है। स्नान करके साफ श्वेत वस्त्र धारण करके ठीक सूर्योदय के समय तांबे या चांदी के कलश से सूर्यदेव को 12 बार अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के समय सूर्यदेव के 12 नामों का स्मरण किया जाता है। हाथ जोड़ने की मुद्रा में अर्घ्य देते हुए जल की धार के मध्य में से सूर्यदेव को देखने का प्रयास करें। 12 अर्घ्य पूर्ण हो जाने के पश्चात सूर्यदेव को लाल पुष्प अर्पित करें, कर्पूर से आरती करें। कई जगह घरों के मुख्य दरवाजे के समीप महिलाएं गोबर से लीपकर रंगोली से भगवान सूर्यदेव के सात घोड़ों वाले रथ का चित्र बनाती है और उसकी पूजा करती है। भगवान सूर्यदेव को गाय के दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाया जाता है। इस दिन व्रती एक समय भोजन करें और भोजन में नमक का सेवन बिलकुल ना करें। यानी बगैर नमक का भोजन इस दिन किया जाता है। खीर का प्रसाद शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन करते समय ग्रहण करें।

रथ सप्तमी व्रत के लाभ

रथ सप्तमी व्रत के लाभ

- व्रत को करने से पुराने और जीर्ण रोगों से छुटकारा मिलता है।

- जो व्यक्ति रथ सप्तमी का व्रत करते हैं उन्हें गंभीर रोग नहीं होते हैं।

- रथ सप्तमी पर सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय जल की धारा के बीच में से उगते सूर्य को देखने से नेत्रों के रोग ठीक होते हैं।

- इस दिन प्रातः सूर्य नमस्कार करने से मानसिक बल मिलता है। मस्तिष्क संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है।

- रथ सप्तमी का व्रत रखकर नमक नहीं खाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।

- इस व्रत को करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। जन्मकुंडली में सूर्य पीड़ाकारी हो तो उनकी शांति होती है।

- रथ सप्तमी व्रत से मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।

- निःसंतान दंपती यदि यह व्रत करें तो उन्हें गुणी और ज्ञानवान संतान की प्राप्ति होती है।

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English summary
Rath saptmi vrat to get rid of disease and have long life
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