विजया एकादशी पर श्रीहरि को अर्पित करें हरिश्रृंगार का पुष्प और देखें चमत्कार
नई दिल्ली। भगवान श्रीहरि विष्णु को सुगंधित पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। उनका मोहक श्रृंगार कई तरह के रंग-बिरंगे सुगंधित पुष्पों से किया जाता है। उन्हीं में से एक परम प्रिय पुष्प है हरसिंगार का। हरसिंगार का पुष्प श्वेत रंग का होता है और इसकी पत्तियों के मूल में पीले-नारंगी रंग की धारी होती है। इसमें से मोहक सुगंध आती है। इसे पारिजात या हरिश्रृंगार के नाम से भी जाना जाता है। फाल्गुन कृष्ण एकादशी 2 मार्च 2019 को विजया एकादशी मनाई जाती है। इससे पूर्व की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इन दोनों एकादशियों का व्रत जोड़ी में किया जाता है। तभी इनका पूर्ण फल प्राप्त होता है। विजया एकादशी पर भगवान विष्णु का पारिजात या हरसिंगार के पुष्पों से पूजन और श्रृंगार करने का विशेष महत्व है। शास्त्रीय मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है और व्रती का घर धन-धान्य, संपत्ति, सुख, वैभव से भर जाता है।

हरसिंगार की शास्त्रीय मान्यता
शास्त्रों की मानें तो हरसिंगार वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है, जिसे देवराज इंद्र ने अपने उद्यान में लगाया था। हरिवंशपुराण के अनुसार श्रीकृष्ण इस दिव्य वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लाए थे और जब वे परिजात का वृक्ष ले जा रहे थे तब देवराज इंद्र ने इसका विरोध किया और वृक्ष को श्राप दे दिया कि इसके फूल दिन में नहीं खिलेंगे। हरिवंशपुराण के अनुसार ही यह वृक्ष दिव्य कहा गया है और समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाला है।

पारिजात के लाभ
- भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होने के कारण इसके पुष्प एकादशी के दिन विशेष रूप से श्रीहरि को अर्पित किए जाते हैं। इससे समस्त मनोकामनाओं की शीघ्र पूर्ति होती है।
- एकादशी के दिन भगवान विष्णु का श्रृंगार पारिजात के 108 पुष्पों से करने का विशेष महत्व होता है।
- धन की देवी मां लक्ष्मी को भी पारिजात के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। उन्हें प्रसन्न् करने के लिए पारिजात के पुष्प अर्पित किए जाते हैं।

भगवान विष्णु को लगाएं केसर
- होली, दीवाली, ग्रहण, रवि पुष्प तथा गुरु पुष्प नक्षत्र में पारिजात वृक्ष की पूजा की जाए तो उत्तम फल प्राप्त होता है।
- विजया एकादशी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु को केसर का तिलक करें और पारिजात के पुष्पों से श्रृंगार करके उन्हें शुद्ध घी का भोग लगाने से अतुलनीय धन संपदा की प्राप्ति होती है।