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हस्तरेखा में भी होता है बुधादित्य योग, जानिए इसके बारे में

By Pt. Gajendra Sharma
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लखनऊ। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब किसी जातक की जन्मकुंडली में किसी भी स्थान पर सूर्य और बुध शुभ स्थिति में होकर एक साथ बैठे हों और उन पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि ना हो तो बुधादित्य योग बनता है। जन्मकुंडली की तरह हस्तरेखा शास्त्र में भी बुधादित्य योग होता है। यह जातक की हथेली में सूर्य और बुध पर्वत के मिलन से बनता है। बुधादित्य योग की गिनती ज्योतिष के शुभ योगों में की जाती है। इसके प्रभाव से जातक खूब ख्याति अर्जित करता है। उसके मान-सम्मान, यश्ा, पद और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। जातक बुद्धिमान, चतुर, वाकपटु, प्रखर वक्ता, राजनेता और मजबूत आर्थिक-सामाजिक स्थिति वाला होता है। आइए जानते हैं हस्तरेखा में बुधादित्य योग कैसे बनता है और इसका जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

हाथ में कैसे बनता है बुधादित्य योग

हाथ में कैसे बनता है बुधादित्य योग

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार अनामिका अंगुली के मूल में सूर्य पर्वत होता और कनिष्ठिका अंगुली के मूल में बुध पर्वत। आमतौर पर लोगों के हाथ में दोनों पर्वत अलग-अलग उभार लिए होते हैं और इनके बीच में गड्ढा होता है। लेकिन जिन जातकों के हाथ में ये दोनों पर्वत मिले हुए हो और इनके बीच में कोई खाली स्थान ना रह जाए तो हाथ में बुधादित्य योग बनता है। सूर्य और बुध पर्वत आपस में मिले हुए होने के साथ ही इन पर कोई अशुभ चिन्ह नहीं होना चाहिए, वरना योग का प्रभाव शून्य या विपरीत हो जाता है। ये दोनों पर्वत पर्याप्त उभार लिए हुए, मांसल और लालिमा लिए हुए होना चाहिए, तभी यह योग अपना पूर्ण प्रभाव दिखाता है। यह योग दोनों हाथों में से किसी एक में या दोनों हाथों में हो सकता है।

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बुधादित्य योग में चिन्हों का महत्व

बुधादित्य योग में चिन्हों का महत्व

जिन जातकों की हथेली में बुधादित्य योग हो और पर्वतों पर शंख, चक्र, गदा, वृत्त या द्वीप का चिन्ह हो तो जातक बहुत ऊंचाइयों तक पहुंचता है। वह स्वयं के परिश्रम से जीवन में श्रेष्ठता हासिल करता है। शुभ चिन्हों के होने से जातक कुशाग्र बुद्धि और तेजस्वी व्यक्तित्व का मालिक होता है। आर्थिक रूप से पूर्ण सक्षम और अनेक संपत्तियों का मालिक होता है।

बुधादित्य योग का प्रभाव

बुधादित्य योग का प्रभाव

जिन जातकों की हथेली में बुधादित्य योग हो और क्रॉस, जाल, अनेक आड़ी-तिरछी रेखाएं, त्रिकोण, बिंदु या तारा का चिन्ह हो तो जातक को बुधादित्य योग का शुभ प्रभाव नहीं मिलता। ऐसा होने पर जातक आलसी किस्म का होता है और पुरखों के अर्जित धन, संपत्ति और प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला देता है। गलत कार्यों और व्यसनों में फंसकर जातक को जेल तक की यात्रा करना पड़ सकती है।

कैसे बढ़ाएं बुधादित्य योग का शुभ प्रभाव

कैसे बढ़ाएं बुधादित्य योग का शुभ प्रभाव

कई जातकों की हथेली में शुभ प्रभाव युक्त बुधादित्य योग होता है, लेकिन वे उससे अनजान रहते हैं या किसी कारणवश योग अपना प्रभाव नहीं दिखा पाता है। ऐसे में इस योग का पूर्ण शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए बुध और सूर्य को प्रसन्न् करने के उपाय करना चाहिए। बुध के लिए प्रतिदिन या कम से कम बुधवार को गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। गणेशजी को लड्डू का नैवेद्य लगाएं और दुर्वा अर्पित करें। इसी तरह प्रतिदिन उगते सूर्य को अर्घ्य दें। इससे आपके सूर्य और बुध दोनों मजबूत होंगे।

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English summary
Budh Aditya Yoga is a life-modifying and destiny-changing yoga that is formed when Sun and Mercury come together in your horoscope.
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